बायजू की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की मांग पर NCLT बैंगलुरु की बेंच ने दिवालिया प्रक्रिया शुरु करने की मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही अब कंपनी के खिलाफ इनसॉल्वेंसी का मामला चलाया जाएगा. बीसीसीआई ने पिछले साल बायजू की मूल कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ 158 करोड़ रुपये का बकाया न चुकाने के लिए याचिका दायर की थी. यह भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी के प्रायोजन अधिकार के विवाद से संबंधित था.  

15 नवंबर को NCLT ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए रजिस्टर्ड किया था. इस सुनवाई के दौरान बीसीसीआई ने किसी भी तरह के समझौते से इनकार कर दिया. दोनों ही पक्षों के बीच इस मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं हो पायी. मध्यस्थता के प्रस्ताव को भी बीसीसीआई की तरफ से ठुकरा दिया गया था. जिसके बाद अब NCLT की तरफ से बायजू के खिलाफ आदेश जारी किया गया है. 

पूरे मामले पर बायजू का क्या है कहना? 
पूरे घटनाक्रम पर बायजू की तरफ से कहा गया है कि वो अब भी बीसीसीआई के साथ सौहार्दपूर्ण तरीके से समझौता करने के रास्ते तलाश रही है. कंपनी ने कहा है कि जैसा कि हमने हमेशा कहा है कि हम बीसीसीआई के साथ सौहार्दपूर्ण समझौत करना चाहते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि हम NCLT के आदेश के बाद भी समझौते पर पहुंचेंगे. 

कैसे हुई Byju’s की शुरुआत?
बायजू रवीन्द्रन एक शिपिंग फर्म में सर्विस इंजीनियर के रूप में काम करते थे. 2003 में केरल में अपने होमटाऊन जाने पर उन्होंने कुछ दोस्तों को एमबीए एंट्रेस एग्जाम कैट (MBA Entrance Exam CAT) में सफल होने में मदद की, तब उन्हें पहली बार एहसास हुआ कि उन्हें पढ़ाने का शौक है. इसके बाद वह खुद भी प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हुए और अच्छे नंबर के साथ पास हुए. हालांकि उन्होंने एमबीए के लिए सभी जॉब ऑफर रिजेक्ट को कर दिया और वापस आकर अपनी नौकरी करने लगे. लेकिन दो साल बाद फिर से उन्होंने एंट्रेस एग्जाम दिया और इस बार 100 प्रतिशत स्कोर हासिल किए. इसके चलते कई लोग एंट्रेस एग्जाम पास करने में मदद के लिए उनके पास आने लगे. उनके टीचिंग स्किल की डिमांग तेजी से बढ़ी, जिसके कारण 2006 में कैट एग्जाम के लिए Byju’s क्लासेज की शुरुआत की गई.

ऐसे बना दुनिया का सबसे महंगा एड-टेक स्टार्टअप  
बायजू ने जल्द ही अंडर-ग्रेजुएट स्टूडेट्स तक अपनी पहुंच बढ़ाई.जिसके बाद 2011 में थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड का फॉर्म किया गया. फिर कंपनी ने स्कूल कैरिकुलम में एंटर किया. इसके बाद इसने चैप्टर्स को इंटरैक्टिव वीडियो में बदल दिया और स्टूडेट्स को फंडामेंटल कॉनसेप्ट को समझाने के लिए रियल लाइफ के उदाहरणों का उपयोग करना शुरू कर दिया. 

2015 में लॉन्च किया लर्निंग ऐप 
2015 में कंपनी ने बायजूस लर्निंग ऐप लॉन्च किया, जो किंडरगार्टन से लेकर 12वीं क्लास तक के स्टूडेट्स को एजुकेशनल सर्विस प्रोवाइड करता था. 2019 तक, बायजू  स्टार्टअप का वैल्यूएशन 1 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया और यह भारत का पहला एड-टेक यूनिकॉर्न बन गया था. इसके साथ ही यह भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम का फेवरेट बन गया.

इंटरैक्टिव वीडियो और टेक्नोलॉजी के उपयोग के साथ-साथ शाहरुख खान और विराट कोहली जैसे सेलिब्रिटी के इंडोर्समेंट ने बायजू के वैल्यूएशन को 22 बिलियन डॉलर तक पहुंचा दिया, जिससे यह दुनिया का सबसे महंगा एड-टेक स्टार्टअप बन गया.

कोविड महामारी के बाद कंपनी को हुआ नुकसान
जब कोविड महामारी आई,तो बायजू को ऑनलाइन प्रमोशन करने का मौका मिला और वह मार्केटिंग में लग गया. मार्च 2020 से अक्टूबर 2020 के बीच कंपनी के के बिजनेस में तेजी आई. इसने न केवल भारत में बल्कि अमेरिका में भी कई एड-टेक स्टार्टअप का एक्वीजीशन किया, इसके जरिये बायजू ने तेजी से विस्तार करने की कोशिश की. COVID-19 के दौरान, कंपनी ने भारतीय क्रिकेट टीम,द फुटबॉल वर्ल्ड कप को स्पॉन्सर किया. यहां तक ​​​​कि फुटबॉल स्टार लियोनेल मेस्सी को अपना ग्लोबल ब्रांड एंबेसडर के लिए साइन किया गया. लेकिन कोरोना के बाद क्लासेज फिर से शुरू होने के चलते कंपनी की ग्रोथ धीमी पड़ गई.

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