PM 2.5 Disadvantage: इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल स्टडीज के अध्ययन में पाया गया है कि पूर्वी दिल्ली जिले में पीएम2.5 में क्रोमियम, तांबा, जस्ता, मोलिब्डेनम और सीसा प्रमुख भारी धातुएं पाई गईं.अध्ययन का उद्देश्य हैवी मेटल एक्सपोजर इंडेक्स (HEI) को मापना था और पाया गया कि पूर्वी दिल्ली में COVID-19 लॉकडाउन से पहले उच्चतम HEI दर्ज किया गया था.
लॉकडाउन के बाद, लुधियाना में सबसे अधिक एचईआई था, उसके बाद पूर्वी दिल्ली का स्थान था. शोधकर्ताओं ने 2019 और 2020 के दौरान मयूर विहार, दिलशाद गार्डन और लक्ष्मी नगर सहित पूर्वी दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों से नमूने एकत्र किए.पूर्वी दिल्ली, जैसलमेर, लुधियाना, विशाखापत्तनम, पंचकुला और पटियाला में भारी धातु के जोखिम की जांच की.
अध्ययन के मुताबिक जिंक, कॉपर और लेड न्यूरोटॉक्सिक हैं और बच्चों के मानसिक विकास को हानि पहुंचाते हैं. साथ ही सांस की समस्या भी उत्पन्न होती है. उच्चतम HEI value लुधियाना में (21.78) पाया गया, इसके बाद पूर्वी दिल्ली में (21.45) और पंचकुला में (10.74) पाया गया.
पर्यावरणविद अविकल सोमवंशी का कहना है कि दिल्ली में पीएम 2.5 की समस्या काफी ज्यादा है.ये सबसे ज्यादा हैवी मेटल से बने होते हैं. ये स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक रहते हैं.अध्ययन में पाया गया है कि पूर्वी दिल्ली में सबसे ज्यादा हैवी मेटल हैं. इसे हटाना या कम करना होगा.
जब सड़कों पर गाड़ी चलती है और टायर से धूल बनती है तो वह पीएम 2.5 बनाता है. पूर्वी दिल्ली में सड़कों की हालत खराब है और साथ ही गाड़ियों का ट्रैफिक भी ज्यादा रहता है, जिसकी वजह से कोई हैरानी की बात नहीं है कि सबसे ज्यादा हैवी मेटल पूर्वी दिल्ली में है.सबसे ज्यादा इसका असर बच्चे और बुजुर्ग पर पड़ता है, जिनकी इम्यूनिटी कम है. इसे रोकने के लिए सड़कों को ठीक करना होगा. साथ ही गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को भी बंद करना होगा.