मैसूर शहरी विकास निकाय प्रमुख मारी गौड़ा ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए बुधवार को इस्तीफा दे दिया है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भूमि घोटाले की चल रही जांच के बीच मैसूर शहरी विकास निकाय के प्रमुख के इस्तीफे की टाइमिंग पर कई तरह के सवाल उठने शुरू हो गए हैं. आपको बता दें कि सीएम सिद्धारमैया पर जो आरोप लगे हैं वो मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण में हुए जमीन घोटाले से जुड़ा है.ईडी ने इस मामले में सिद्धारमैया के अलावा उनकी पत्नी पार्वती,साले मल्लिकार्जुन स्वामी और कुछ अधिकारियों को भी आरोपी बनाया है.कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने 16 अगस्त को इस घोटाले में सिद्धारमैया के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे.सिद्धारमैया ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट की शरण ली थी,लेकिन अदालत ने 24 सितंबर को जांच के आदेश को सही बताया है.

अब सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती ने सभी 14 विवादित प्लाट प्राधिकरण को वापस लौटाने की पेशकश की है.वहीं सिद्धारमैया ने उम्मीद जताई है कि सत्य की जीत होगी.ईडी ने इस आरोप पर मामला दर्ज किया है कि पार्वती को मैसूर में 14 प्लॉट आबंटित किए गए थे. इस प्लॉट आबंटन में हुए लेनदेन की वैधता पर सवाल उठे हैं. मल्लिकार्जुन स्वामी पर आरोप है कि उन्होंने जमीन खरीदी और बाद में उसे पार्वती को उपहार के तौर पर दे दिया था.

क्या है पूरा मामला

मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) ने 1992 में रिहायशी इलाके विकसित करने के लिए किसानों से जमीन अधिग्रहीत की. इसके बदले MUDA की एक योजना के तहत जमीन मालिकों को विकसित भूमि में 50 फीसदी साइट या एक वैकल्पिक साइट दी गई.MUDA पर आरोप है कि उसने 2022 में सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को मैसूरु के कसाबा होबली स्थित कसारे गांव में उनकी 3.16 एकड़ जमीन के बदले मैसूर के एक पॉश इलाके में 14 प्लाट आबंटित किए.

इन साइट्स की कीमत पार्वती की जमीन की तुलना में बहुत ज्यादा थी.आरोप यह भी है कि जिस 3.16 एकड़ जमीन के बदले पार्वती को 14 प्लाट दिए गए, उन पर उनका कोई कानूनी अधिकार नहीं था.वह जमीन उनके भाई मल्लिकार्जुन ने 2010 में उन्हें उपहार के तौर पर दी थी. मुडा ने उस जमीन का अधिग्रहण किए बिना देवनूर स्टेज 3 लेआउट विकसित कर दिया था. 

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