दिल्ली में वायु प्रदूषण के चलते लोग कई सारी बीमारियों का सामना कर रहे है. एक्यूआई लेवल बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गया है. ऐसे में श्वसन समस्याओं को लेकर मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं. डॉक्टरों के मुताबिक इन दिनों साइलेंट निमोनिया के केस बढ़ रहे हैं. इस बारे में ज्‍यादा जानकारी के लिए हमने दिल्ली के सीके बिरला अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विकास मित्तल से बात की.

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डॉक्टर ने क्या कहा?…

डॉ. विकास मित्तल ने बताया, “इन दिनों इमरजेंसी में निमोनिया जैसी श्वसन समस्याओं से जूझ रहे मरीज भारी संख्‍या में आ रहे है. कई मामलों में वॉकिंग निमोनिया या एटिपिकल निमोनिया देखने को मिल रहा है. ऐसे में एक्स-रे में निमोनिया के पैच दिखाई देते हैं, लेकिन रोगी गंभीर रूप से बीमार नहीं होते हैं. इसके साथ ही साइलेंट निमोनिया के मामलों में भी वृद्धि देखने को मिल रही है, जिसमें छाती में संक्रमण इतना गंभीर है कि मरीज को आईसीयू में भर्ती करना पड़ता है.”

क्या ये प्रदूषण के कारण हो रहा है?

डॉक्‍टर ने आगे कहा, “इसके अलावा कई मरीज बुखार के बिना भी ऊपरी श्वसन संबंधी लक्षणों जैसे कि आंख, नाक और गले में खुजली का अनुभव कर रहे हैं. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि प्रदूषण इसका प्राथमिक कारण है या नहीं, लेकिन साल के इस समय में इतने सारे निमोनिया के मामले देखना असामान्य है, इसलिए हमें यह जांच करने की जरूरत है कि क्‍या एयर क्वालिटी के कारण यह मामले सामने आ रहे हैं?”

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“वायु प्रदूषण पर अक्सर चर्चा की जाती है, लेकिन श्वसन स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव, खासतौर से निमोनिया के मामलों में हो रही वृद्धि को भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.”

उन्होंने आगे कहा, “दिल्‍ली की इस जहरीली हवा से स्वस्थ व्यक्ति भी बीमारी की चपेट में आ रहे है. इससे बचने के लिए क्रोनिक हार्ट, किडनी या लिवर की समस्या से जूझ रहे लोगों सहित सभी के लिए उपाय करना महत्वपूर्ण है.’

कैसे करें बचाव?

इसके बचने के लिए डॉ. विकास मित्तल ने बताया कि हेल्दी व्यक्तियों को इन बीमारियों से बचने के लिए एक अच्छी जीवनशैली अपनानी चहिए. इसके साथ ही अपने भोजन में नट्स, फलों और सब्जियों के रूप में एंटीऑक्सीडेंट शामिल करना जरूरी है. इसके साथ ही अपने आप को हाइड्रेटेड रखना भी महत्‍वपूर्ण है.”

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डॉ. विकास मित्तल ने बताया, “अगर डाइट का सेवन अपर्याप्त है तो सप्लीमेंट मदद कर सकते हैं, जिन लोगों को पहले से ही कोई बीमारी है, उन्हें अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए कि वे खुद को कैसे सुरक्षित रखें. जागरूकता और सक्रियता जैसे स्वास्थ्य उपाय हाई पॉल्यूशन से निमोनिया जैसे संक्रमण के जोखिम को रोकने में मदद कर सकते है.”

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