उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 9 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. 20 नवंबर को वोटिंग है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी के ख़राब प्रदर्शन के बाद पार्टी के लिए ये चुनाव प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है. इस उपचुनाव के बहाने बीजेपी अपना दम ख़म दिखाना चाहती है. उपचुनाव में रणनीति को लेकर यूपी बीजेपी कोर कमेटी की गुरुवार को आरएसएस के साथ लंबी बैठक हुई. जिन 9 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें से 3 पर बीजेपी, 4 पर समाजवादी पार्टी और एक-एक सीट पर निषाद पार्टी और आरएलडी का कब्जा था. आरएलडी और निषाद पार्टी यूपी में बीजेपी के सहयोगी दल हैं.
उपचुनाव से पहले संघ ने बीजेपी की मदद वाला प्लान तैयार किया है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने उपचुनाव की तैयारियों का फीड बैक लिया. गुरुवार को लखनऊ में संघ, योगी सरकार और बीजेपी के पदाधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक हुई.
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लखनऊ के एक होटल में हुई बैठक में यूपी में राष्ट्रवाद और हिंदुत्व नाम पर सभी जातियों को एक करने पर मंथन हुआ. संघ का मानना है कि ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’. ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का असर हरियाणा चुनाव में हुआ. महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव में भी यही नारा कारगर होता दिख रहा है.
यूपी में भी इन्हीं नारों के साथ आगे की राजनीतिक दिशा तय करने का फैसला हुआ. इसके लिए संघ, सरकार और बीजेपी मिल कर योजना बनाएंगे. सोशल मीडिया प्लेटफार्म का भी सहारा लिया जाएगा. बैठक में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह, क्षेत्रीय प्रचारक अनिल कुमार, प्रांत प्रचारक कौशल कुमार और प्रशांत भाटिया भी मौजूद थे.
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के 6 क्षेत्रों के लिए यूपी में सह-संगठन मंत्री भी तैनात किए जाएंगे. संघ 3 से 4 प्रचारकों को सह-संगठन मंत्री नियुक्त करने के लिए बीजेपी में भेजने पर मंथन कर रहा है, ताकि जिलों तक संघ, बीजेपी और सरकार के बीच समन्वय बेहतर हो सके. साथ ही बीजेपी के संगठनात्मक कार्यों की भी क्षेत्र स्तर पर नियमित समीक्षा हो सके.
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