Side Effects of Anesthesia: ये तो हम सब जानते हैं कि सर्जरी से पहले मरीज को एनेस्थीसिया दिया जाता है. मगर कई लोग सर्जरी से भी ज्यादा एनेस्थीसिया से डरते हैं. क्योंकि इससे जुड़े काफी सारे मिथ और डर लोगों में फैले हुए हैं. क्या इससे डरना सही है ये जानने के लिए एनडीटीवी ने बात की डॉ दिवेश अरोड़ा से जो फरीदाबाद के एशियन हॉस्पिटल में एनेस्थीसिया एंड ओटी सर्विसेज के डायरेक्टर और हेड हैं.
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एनेस्थीसिया को लेकर डर (Fear of Anesthesia)
लोगों में एनेस्थीसिया को लेकर डर इससे जुड़े मिथ की वजह से है. डॉ दिवेश अरोड़ा ने कहा कि कई बार कुछ मूवीज में भी रियलिस्टिक चीजें नहीं दिखाई जाती जिससे लोगों के मन में गलत धारणा बन जाती है. 1846 से मरीजों को एनेस्थीसिया देना शुरू हुआ. पहले इसे लेकर इतनी डेवलपमेंट नहीं हुई थी, लेकिन आज के समय में हम बहुत एडवांस स्टेट में हैं तो एनेस्थीसिया को लेकर मन में जो भी डर है वो निकाल देना चाहिए.
एनेस्थीसिया के साइड इफेक्ट (Side effects of Anesthesia)
डॉ अरोड़ा ने कहा कि जैसे हर मेडिसिन से रिस्क, साइड इफेक्ट और कॉम्प्लिकेशन जुड़े होते हैं वैसे ही एनेस्थीसिया से भी जुड़े हैं, लेकिन रिस्क तो कार ड्राइव करने में भी है. इसलिए हमें हर चीज से जुड़े रिस्क को समझना चाहिए और दिमाग को शांत रखना चाहिए. कोई भी सर्जरी एनेस्थीसिया दिए बिना नहीं की जा सकती. अगर आप सर्जरी कराने से नहीं डर रहे तो फिर एनेस्थीसिया से बिलकुल मत डरिए. आज एनेस्थीसिया में काफी एडवांसमेंट हो चुका है जिसकी वजह से ये बहुत सेफ है.
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एनेस्थीसिया से जुड़े कॉम्प्लिकेशंस (Complications Related to Anesthesia)
डॉ अरोड़ा ने कहा कि आप बीमार होने पर क्रोसिन या कॉम्बिफ्लेम खाते होंगे, इन दवाओं का भी साइड इफेक्ट होता है. रिस्क एक प्रोबेबिलिटी है. जैसे मैं कहीं जा रहा हूं तो हो सकता है रास्ते में मुझे बारिश मिल जाए. इसी तरह साइड इफेक्ट की प्रोबेबिलिटी होती है. ये माइनर या मेजर हो सकते हैं. कॉम्प्लिकेशंस आमतौर पर मेजर कैटेगरी में आते हैं. एनेस्थीसिया देने के लिए मरीजों को एक आईवी कैनुला लगाया जाता है. कई पेशेंट को आईवी कैनुला की वजह से इरिटेशन की समस्या हो जाती है. जिसकी वजह से थोड़ी रेडनेस हो जाती है. ये माइनर साइड इफेक्ट की कैटेगरी में आता है. ये अनडिजायरेबल चीजें हैं लेकिन मरीज को इनके लिए तैयार रहना होगा.
उन्होंने कहा कि अगर मरीज को जनरल एनेस्थीसिया (General Anesthesia) दिया गया है तो वो जब उठेगा तो हो सकता है कि उसे चक्कर या घबराहट सी महसूस हो, लेकिन कुछ देर बाद सामान्य महसूस होने लगता है. किसी को जी मिचलाना या उल्टी हो सकती है, ठंड महसूस हो सकती है. ये मामूली साइड इफेक्ट है जिनके बारे में ये मानकर कर चलना होगा कि आपको भी ये साइड इफेक्ट हो सकते हैं. कहने का मतलब है कि आपको इन माइनर साइड इफेक्ट्स के लिए दिमागी तौर पर तैयार रहना होगा.
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जैसे अगर किसी मरीज को स्पाइनल एनेस्थीसिया दिया गया है तो अगले 3-4 घंटे के लिए उसके कमर से नीचे का भाग सुन्न रहेगा. इसलिए मरीज को पहले से ही इस बारे में बता दिया जाता है. क्योंकि सर्जरी तो हो सकता है की एक घंटे में ही खत्म हो जाए लेकिन एनेस्थीसिया का असर कुछ घंटों बाद तक रहता है.