एक पाकिस्तानी मालवाहक जहाज (Pakistani Cargo Ship) पिछले सप्ताह बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह (Bangladesh’s Chittagong Port) पर पहुंचा. ये सुनने में साधारण सी बात लगती है पर है नहीं. ऐसा पांच दशकों में पहली बार हुआ है. ये दोनों देशों के बीच पहला सीधा समुद्री संपर्क था. बंदरगाह अधिकारियों ने रविवार को समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि कराची से आए जहाज ने बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्वी तट पर अपने कंटेनर सफलतापूर्वक उतार दिए हैं, क्योंकि दोनों पक्ष 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के बाद से बिगड़े हुए संबंधों को फिर से सुधारने की कोशिश कर रहे हैं. पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सीधा समुद्री संपर्क भारत के पश्चिमी और पूर्वी पड़ोसियों के बीच पारंपरिक रूप से जटिल संबंधों में एक ऐतिहासिक बदलाव दिखाता है. इसका नई दिल्ली की सुरक्षा पर भी प्रभाव पड़ता है. खासकर बांग्लादेश की भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से निकटता के कारण.
क्या आया जहाज में
एक 182 मीटर (597 फुट) लंबा कंटेनर जहाज युआन जियांग फा झान पाकिस्तान के कराची से बांग्लादेश के चटगांव के लिए रवाना हुआ था. एएफपी ने चटगांव के शीर्ष अधिकारी उमर फारूक के हवाले से बताया कि जहाज ने बंदरगाह छोड़ने से पहले 11 नवंबर को बांग्लादेश में अपना माल उतार दिया था.चटगांव बंदरगाह अधिकारियों ने कथित तौर पर कहा कि जहाज पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात से सामान लेकर आया है, जिसमें बांग्लादेश के प्रमुख कपड़ा उद्योग के लिए कच्चा माल और बुनियादी खाद्य पदार्थ शामिल हैं.
पाकिस्तान ने बताया बड़ा कदम
पाकिस्तानी माल को बांग्लादेश ले जाने से पहले आमतौर पर श्रीलंका, मलेशिया या सिंगापुर में फीडर जहाजों पर भेजा जाता था. हालांकि, सितंबर में बांग्लादेश ने मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली नई अंतरिम सरकार के तहत, पाकिस्तानी सामानों पर आयात प्रतिबंधों में ढील दे दी थी. सीधे समुद्री संपर्क को खोलने को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का पाकिस्तान के साथ मजबूत संबंध बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. ढाका में पाकिस्तान के दूत सैयद अहमद मारूफ की एक सोशल मीडिया पोस्ट की बांग्लादेश में सोशल मीडिया की खूब चर्चा हुई है, जिसमें सीधे शिपिंग मार्ग को दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए “एक बड़ा कदम” बताया गया है.
मारूफ ने फेसबुक पर लिखा, यह मार्ग “दोनों तरफ के व्यवसायों के लिए नए अवसरों को बढ़ावा देगा.”
इस्लामिक राष्ट्र बनेगा बांग्लादेश?
शेख हसीना (Sheikh Hasina) के निष्कासन के बाद, यूनुस (Yunus) की अंतरिम सरकार ने पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने का प्रयास किया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shehbaj Sharif) और यूनुस ने इस वर्ष सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के मौके पर द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा भी की थी. यूनुस ने हाल ही में विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए पाकिस्तान-बांग्लादेश संबंधों में एक “नए अध्याय” का आह्वान करते हुए कहा था, “हमारे संबंधों को पुनर्जीवित करने के लिए समुद्री लिंक आवश्यक है.” ऐसा प्रतीत होता है कि बांग्लादेश भी पाकिस्तान की राह पर जा रहा है. देश के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां ने बांग्लादेश के संविधान से “समाजवाद” और “धर्मनिरपेक्षता” शब्दों को हटाने का आह्वान किया है. इस प्रस्ताव से यह आशंका पैदा हो गई है कि मुस्लिम बहुल राष्ट्र इस्लामिक राज्य की ओर बढ़ सकता है.
शेख हसीना को मांग रहा
इसके अलावा, बांग्लादेश अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की भी भारत से मांग कर रहा है. ढाका ने पहले ही 77 वर्षीय महिला के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है और उन्हें “नरसंहार, हत्या और मानवता के खिलाफ अपराध” के आरोपों का सामना करने के लिए ढाका की अदालत में पेश होने के लिए बुलाया है. यूनुस ने शेख हसीना का जिक्र करते हुए कहा है, “हम भारत से अपदस्थ तानाशाह के प्रत्यर्पण की मांग करेंगे.” इस महीने की शुरुआत में, बांग्लादेश ने कहा था कि वह शेख हसीना के शासन के भगोड़े नेताओं के लिए इंटरपोल से “रेड नोटिस” अलर्ट का अनुरोध करेगा. वैश्विक पुलिस निकाय द्वारा जारी किए गए रेड नोटिस दुनिया भर की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भगोड़ों के बारे में सचेत करते हैं. भारत इंटरपोल का सदस्य है, लेकिन रेड नोटिस का मतलब यह नहीं है कि नई दिल्ली को शेख हसीना को सौंप देना पड़ेगा. 196 सदस्य देशों के बीच पुलिस सहयोग का आयोजन करने वाले समूह के अनुसार, सदस्य देश “किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का निर्णय लेने में अपने स्वयं के कानून लागू कर सकते हैं.”
भारत को कैसे खतरा?
पाकिस्तान से जुड़े नशीले पदार्थों के बढ़ते व्यापार के साथ, इस्लामाबाद और ढाका के बीच बढ़ते संबंध भारत के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा चिंता (India Security) का विषय बन सकते हैं. नई दिल्ली के लिए एक और सुरक्षा चिंता क्षेत्र को अस्थिर करने वाली गतिविधियों में पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई की भागीदारी है. वर्षों से, भारत ने चटगांव बंदरगाह पर गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए शेख हसीना के साथ अपने संबंधों का उपयोग किया है, जहां 2004 में, चीनी गोला-बारूद के लगभग 1,500 बक्से जब्त किए गए थे. कथित तौर पर अनुमानित 4.5-7 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की इस खेप की साजिश कथित तौर पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने रची थी. यह खेप कथित तौर पर भारत में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन उल्फा (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम) को पहुंचाई जानी थी. हालांकि, यूनुस ने आश्वासन दिया है कि उनके देश का हालिया सत्ता परिवर्तन के बावजूद ढाका-दिल्ली संबंध “बहुत करीबी” होने चाहिए, उन्होंने कहा कि यह दोनों देशों के हित में है.
युनूस ने भारत पर क्या कहा?
युनूस ने हाल में कहा है, “दोनों देशों के बीच संबंध बहुत करीबी होने चाहिए. इसका कोई विकल्प नहीं हो सकता. उन्हें इसकी जरूरत है, हमें इसकी जरूरत है. यह किसी भी दृष्टिकोण से जरूरी है, चाहे वह अर्थव्यवस्था, सुरक्षा या पानी के बारे में हो.” द्विपक्षीय संबंधों में हालिया तनाव पर यूनुस ने कहा कि बांग्लादेश में हाल की घटनाओं ने भारत को “हतोत्साहित” किया होगा और “वे परिवर्तनों से खुश नहीं होंगे.” उन्होंने घटनाओं का जिक्र नहीं किया. उन्होंने कहा, “हमारे लिए एक-दूसरे के बिना आगे बढ़ना मुश्किल होगा. यह स्वाभाविक है कि हमारे बीच हर क्षेत्र में घनिष्ठ संबंध और अच्छे संबंध हैं.”
बदल रहे समीकरण
भारत ने अंतरिम बांग्लादेश सरकार से दक्षिण एशियाई देश में हिंदू समुदाय के लिए शांतिपूर्ण धार्मिक आयोजन सुनिश्चित करने का आग्रह किया है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में हसीना के नेतृत्व वाली सरकार को हटाने के बाद हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंदुओं सहित 600 से अधिक लोग मारे गए थे. युनूस ने कहा, “चीजें उनके लिए स्पष्ट हो जाएंगी जब वे देखेंगे कि पूरी दुनिया हमें स्वीकार कर रही है, तो वे हमें कैसे स्वीकार नहीं कर सकते?” उन्होंने कहा कि जहां तक दक्षिण एशियाई कूटनीति का सवाल है, उनकी अंतरिम सरकार ने भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने और साथ ही सार्क (क्षेत्रीय सहयोग के लिए दक्षिण एशियाई संघ) को मजबूत करने को उच्च महत्व दिया है.