अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइल आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम (ATACMS) के उपयोग की अनुमति देकर जो दांव चला था उस पर लग रहा है कि फ्रांस (France), ब्रिटेन (Britain) और जर्मनी (Germany) जैसे देश आगे नहीं बढ़ना चाहते. कारण जो बाइडेन का कार्यकाल ही बमुश्किल दो महीने का बचा हुआ है. डोनाल्ड ट्रंप नये राष्ट्रपति चुने जा चुके हैं और जनवरी में अमेरिका की सत्ता उनके हाथ में होगी.  इसी कारण छह प्रमुख यूरोपीय देशों के विदेश मंत्री मंगलवार को वारसॉ में वार्ता करेंगे. जर्मनी, फ्रांस, इटली और पोलैंड के मंत्री इस बैठक में खुद भाग लेंगे, जबकि ब्रिटेन के डेविड लैमी और स्पेन के मैनुअल अल्बेरेस वीडियो के जरिए जुड़ेंगे. जर्मनी के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता कैथरीन डेसचौएर ने कहा, “यूरोप में सुरक्षा स्थिति और सबसे ऊपर यूक्रेन की स्थिति पर एक बड़ी आम चिंता है.”

ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी क्या कह रहे?

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पोलैंड कीव का समर्थक है. उसने अबाइडेन के फैसले का स्वागत किया और कहा कि रूस अपने युद्ध में मदद के लिए हजारों उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती कर रहा है. यह उसी भाषा में प्रतिक्रिया है जिसे व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) समझते हैं. हालांकि, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने यह कहने से इनकार कर दिया है कि उनका देश अपनी मिसाइलों के इस्तेमाल को मंजूरी देगा या नहीं. फ़्रांस भी समझदार बना रहा.उसके विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरोट ने सोमवार को दोहराया कि फ्रांसीसी मिसाइलों के उपयोग की संभावना “एक विकल्प” बनी हुई है. जर्मनी ने एक बार फिर अपनी लंबी दूरी की टॉरस मिसाइल प्रणाली देने से इनकार कर दिया है, जिसकी कीव की लंबे समय से इच्छा थी, और घोषणा की है कि वह इसके बदले में कीव को 4,000 ड्रोन की आपूर्ति करेगा. चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ नए दबाव के बावजूद निर्णय पर कायम रहे, उन्होंने रूस और पश्चिम के बीच तनाव बढ़ने की आशंका की ओर इशारा किया और चेतावनी दी कि बर्लिन को सीधे संघर्ष में शामिल किया जा सकता है.

रूस की रणनीति

इस बीच उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन (Kim Jong Un) ने सोमवार को प्योंगयांग में रूस (Russia)के प्राकृतिक संसाधन मंत्री से मुलाकात की. सरकारी कोरियाई सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) ने कहा, किम ने रूसी प्राकृतिक संसाधन और पारिस्थितिकी मंत्री अलेक्जेंडर कोज़लोव से मुलाकात की. इसके साथ ही रूसी सैन्य अकादमी का एक प्रतिनिधिमंडल भी उत्तर कोरियाई राजधानी में पहुंचा. जाहिर है रूस नाटो को काबू करने के लिए उत्तर कोरिया और पश्चिमी देशों से नाराज देशों को एकजूट कर रहा है. ईरान ने भी दावा किया है कि उसके पास रूस के एस 300 और एस 400 पहुंच चुके हैं. पश्चिम को डर है कि रूस सैनिकों के बदले उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार कार्यक्रम को आगे बढ़ा सकता है. 

जी 20 में शांति की बात 

रियो में बैठक कर रहे जी20 नेताओं ने सोमवार को एक संयुक्त बयान में कहा कि वे यूक्रेन में “व्यापक, न्यायपूर्ण और टिकाऊ शांति का समर्थन करने वाली सभी प्रासंगिक और रचनात्मक पहलों का स्वागत करते हैं.” दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में जिन कई बिंदुओं पर उन्होंने बात की, उनमें से एक में कहा गया कि शांति संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों के अनुरूप होनी चाहिए और पड़ोसी देशों के बीच “शांतिपूर्ण, मैत्रीपूर्ण और अच्छे” संबंधों को बढ़ावा देना चाहिए. इसके साथ ही  G20 ने गाजा, लेबनान में युद्धविराम का आह्वान किया.

रूस-यूक्रेन ने क्या कहा?

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क्रेमलिन ने सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पर यूक्रेन (Ukraine) में 1,000 दिन पुराने युद्ध को बढ़ाने का आरोप लगाया, और रूस के अंदर लक्ष्यों पर हमला करने के लिए यूक्रेन द्वारा अमेरिकी लंबी दूरी की मिसाइलों के किसी भी उपयोग पर “स्पष्ट” प्रतिक्रिया का वादा किया. साथ ही पुतिन के नाटो देशों पर हमले वाले बयान की याद भी दिला दी. यूक्रेन के विदेश मंत्री एंड्री सिबिगा ने कहा कि आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम (एटीएसीएमएस) के उपयोग की अनुमति देने का अमेरिकी निर्णय “गेम चेंजर” हो सकता है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा, “यह स्पष्ट है कि वाशिंगटन में निवर्तमान प्रशासन का इरादा… आग को भड़काने और तनाव को और बढ़ाने का है.” 

पाकिस्तान-बांग्लादेश समुद्री रास्ते से नजदीक आ रहे, भारत की सुरक्षा के लिए कितना खतरा?

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