उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में प्रादेशिक सेवा भर्ती का आयोजन किया गया था. प्रशासन ने अपने भर्ती प्रक्रिया को बगैर किसी अड़चन के पूरा करने के लिए तमाम तरीके के इंतजाम किए थे. उम्मीद थी कि सब कुछ बगैर किसी दिक्कत के पूरा हो जाएगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इस छोटे से कस्बे में आयोजित इस भर्ती प्रक्रिया में यूपी, बिहार और झारखंड से युवा पहुंचे. युवाओं की भीड़ इस कदर थी कि प्रशासन के तमाम इंतजाम कम साबित हो गए. कहा जा रहा है कि भर्ती के लिए पहुंचे युवाओं की संख्या ज्यादा होने का एक सबसे बड़ा कारण बिहार के पटना में सेना की भर्ती प्रक्रिया का रद्द होने भी था.

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भीड़ को रोकने के लिए करना पड़ा लाठीचार्ज

इस वजह से जब युवाओं को पता चला कि अब उनके पास पिथौरागढ़ में होने वाली भर्ती में शामिल होने का मौका है तो वह वहां पहुंच गए. ऐसे में वहां के जिला प्रशासन ने ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की जिससे हजारों की तादात में आई युवाओं के लिए रहने खाने-पीने और आने जाने की कोई सुविधा की जा सके. हालात ऐसे हो गए की हर कोई अपनी बड़ी के इंतजार में घंटे तक खड़ा रहा तो वहीं एक समय ऐसा है कि भर्ती के लिए पहुंचे हजारों युवा ग्राउंड में गेट मैं जबरदस्ती घुसने लग गए. इसके बाद पुलिस को वहां लाठी चार्ज करना पड़ा जिससे कई युवा घायल भी हुए. 

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इस वजह से बिगड़े हालात

ज्यादातर युवा इसलिए वहां पर पहुंचे क्योंकि दानापुर बिहार में होने वाली भर्ती की खबर आ रही थी कि वह कैंसिल हो गई है लेकिन बाद में डीएम पिथौरागढ़ ने इस बात की जानकारी दी कि 26 नवंबर से 1 दिसंबर के बिहार के दानापुर में  प्रादेशिक सेवा की होने वाली भर्ती कैंसिल नहीं हुई है. जिन युवाओं पिथौरागढ़ की भर्ती में चांस नहीं मिल पाया है वह 26 दिसंबर से 1 दिसंबर में होने वाली प्रादेशिक सेवा की दानापुर बिहार में भर्ती में भाग ले सकते हैं. 

डीएम को देना पड़ा बयान

पिथौरागढ़ में 12 से 27 नवंबर तक प्रादेशिक सेना की भर्ती का आयोजन हो रहा है. इस भर्ती में अलग-अलग पदों के लिए कई राज्यों से युवा यहां पहुंचे हैं. जानकारी के मुताबिक सेवा के रोस्टर में मध्य प्रदेश, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और झारखंड के युवाओं के लिए भर्ती खोली गई है जिसमें जीडी क्लर्क कुक और अन्य पदों के लिए सेना को युवक चाहिए. बेरोजगारी का आलम ऐसा है कि पोस्ट ग्रेजुएट तक युवा इस भर्ती में पहुंचे हैं.

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बसों में ठूंस कर पहुंचे युवा

न सिर्फ पिथौरागढ़ बल्कि अल्मोड़ा और हल्द्वानी में प्रशासन के व्यवस्थाओं का आलम ऐसा हुआ कि पहले तो पिथौरागढ़ भर्ती जाने के लिए युवाओं को बसों का टोटा हो गया.  बसों की तय क्षमता से कई गुना ज्यादा युवा भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने के लिए जाने को मजबूर दिखे. युवाओं की भीड़ इतनी ज्यादा थी कि बस में जहां स्पेयर टायर रखे जाते हैं युवा वहां पर भी घुसकर पिथौरागढ़ तक का सफर करने को मजबूर थे. इसके अलावा भर्ती सेंटर पिथौरागढ़ में हजारों की तादाद में पहुंचे युवाओं के लिए रहने और खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं थी. युवाओं को खुले आसमान के नीचे या तो खेतों में या फिर लोगों की छतों और बरामदों में सोना पड़ा.

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