गुजरात के सूरत में 90 साल के एक शख्‍स ने धोखेबाजों के कारण अपनी पूरी जिंदगी की एक करोड़ रुपये से अधिक की कमाई को गंवा दिया है. आरोपियों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया और उन्‍हें 15 दिनों के लिए ‘डिजिटल अरेस्‍ट’ (Digital Arrest) के तहत रखा. आरोपियों ने बुजुर्ग शख्‍स से कहा कि एक पार्सल में ड्रग्स मिले हैं, जिन्‍हें उनके नाम पर मुंबई से चीन के लिए कूरियर किया गया था. 

सूरत क्राइम ब्रांच के मुताबिक, चीन के एक गैंग के साथ मिलकर चलाए जा रहे इस रैकेट के पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है. हालांकि इस मामले में अभी तक मास्‍टरमाइंड का पता नहीं चल सका है. मुख्य आरोपी पार्थ गोपानी के कंबोडिया में होने का संदेह है. गिरफ्तार लोगों में रमेश सुराणा, उमेश जिंजला, नरेश सुराणा, राजेश देवड़ा और गौरांग राखोलिया शामिल हैं. 

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आरोपियों ने ऐसे दिया वारदात को अंजाम 

डीसीपी भावेश रोजिया ने कहा कि शेयर बाजार में कारोबार करने वाले वरिष्ठ नागरिक को आरोपी ठगों में से एक ने व्हाट्सएप कॉल किया और खुद को सीबीआई अधिकारी बताया. साथ ही कहा कि एक पार्सल में 400 ग्राम एमडी ड्रग्स पाया गया था, जिसे कथित तौर पर वरिष्ठ नागरिक के नाम पर मुंबई से चीन के लिए कूरियर किया गया. 

आरोपी ने यह भी कहा कि उस व्यक्ति के बैंक खाते की डिटेल से यह पता चला है कि वह मनी लॉन्ड्रिंग में लिप्त था. ठग ने मामला दर्ज करने के साथ ही उसे और उसके परिवार को गिरफ्तार करने की धमकी भी दी. 

डीसीपी ने कहा कि पूछताछ के बहाने बुजुर्ग व्यक्ति को 15 दिनों के लिए ‘डिजिटल अरेस्‍ट’ रखा गया और उसके बैंक खाते के माध्यम से किए गए लेनदेन के बारे में पूछा गया. इसके बाद आरोपियों ने उस व्यक्ति के खाते से 1.15 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर लिए. 

आरोपियों से पास से क्‍या हुआ बरामद? 

इस घटना के बारे में पता चलने पर पीड़ित परिवार ने सूरत साइबर सेल से संपर्क किया और 29 अक्टूबर को शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने कहा कि पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन मास्टरमाइंड गोपानी की तलाश जारी है. 

पुलिस ने आरोपी गोपानी का स्केच जारी किया है. पुलिस को उसके कंबोडिया में होने का संदेह है. 

पुलिस ने कहा कि गिरफ्तार लोगों के पास से विभिन्न बैंकों के 46 डेबिट कार्ड, बैंकों की 23 चेक बुक, एक वाहन, चार अलग-अलग फर्मों के रबर स्टांप, नौ मोबाइल फोन और 28 सिम कार्ड बरामद किए गए. 

‘डिजिटल अरेस्‍ट’ के कई लोग शिकार 

साइबर कानून विशेषज्ञ और अधिवक्ता पवन दुग्गल के मुताबिक, “डिजिटल अरेस्‍ट किसी व्‍यक्ति को भय और दहशत में डालने की कोशिश करने और उससे आगे बढ़कर किसी गलत धारणा के तहत उस शख्‍स से पैसे ऐंठने की घटना है और वह व्यक्ति साइबर अपराध का शिकार है.”

लोगों को सचेत करने के लिए कई बार सलाह दी गई है कि भारतीय कानूनों में ‘डिजिटल अरेस्‍ट’ या ऑनलाइन जांच का कोई प्रावधान ही नहीं है. बावजूद इसके कई लोग ऐसे घोटालों का शिकार हो चुके हैं और करोड़ों रुपये गंवा चुके हैं. 

PM मोदी भी कर चुके हैं सचेत 

केंद्र सरकार ने हाल ही में देश भर में लोगों को निशाना बनाने वाली साइबर धोखाधड़ी के बारे में चेतावनी दी थी और कहा था कि इसमें धोखाधड़ी वाले पत्र शामिल हैं, जिनमें लोगों को घोटालेबाजों की मांगों का पालन नहीं करने पर ‘डिजिटल अरेस्‍ट’ की धमकी दी गई. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात के एक एपिसोड के दौरान ‘डिजिटल अरेस्‍ट’ पर ध्यान आकर्षित किया था और लोगों को इस तरह की गतिविधियों के खिलाफ सचेत किया था. उन्होंने कहा, “डिजिटल अरेस्‍ट धोखाधड़ी से सावधान रहें. कानून के तहत डिजिटल अरेस्‍ट जैसी कोई व्यवस्था नहीं है. कोई भी सरकारी एजेंसी ऐसी जांच के लिए आपसे कभी भी फोन या वीडियो कॉल के जरिए संपर्क नहीं करेगी.”

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