1971 के युद्ध के बाद पाकिस्तान के आत्मसमर्पण को दर्शाने वाली प्रतिष्ठित तस्वीर को हटाने पर खड़े हुए विवाद पर भारतीय सेना ने कहा कि पेंटिंग को उसके सबसे उचित स्थान पर लगाया गया है – मानेकशॉ सेंटर. इसका नाम 1971 के युद्ध के नायक और फील्ड मार्शल एसएचएफजे मानेकशॉ पर रखा गया है. इस तस्वीर को कल विजय दिवस के मौके पर ही स्थापित किया गया है, जो 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत के 43 साल पूरे होने के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इसकी वजह से ही बांग्लादेश का जन्म हुआ था. 

आर्मी ने एक्स पर किया पोस्ट

आर्मी ने एक्स पर लिखा, “विजय दिवस के मौके पर जर्नल उपेंद्र द्विवेदी ने एडब्लूडब्लूए की अध्यक्ष सुनीता द्विवेदी के साथ मिलकर प्रतिष्ठित 1971 आत्मसमर्पण पेंटिंग को उसके सबसे उपयुक्त स्थान, मानेकशॉ सेंटर में स्थापित किया, जिसका नाम 1971 के युद्ध के वास्तुकार और नायक, फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के नाम पर रखा गया है. इस अवसर पर भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी और सेवारत अधिकारी और दिग्गज मौजूद थे.”

मानेकशॉ सेंटर में लगाई गई पेंटिंग

इसमें कहा गया है, “यह पेंटिंग भारतीय सशस्त्र बलों की सबसे बड़ी सैन्य जीतों में से एक और सभी के लिए न्याय और मानवता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है. नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में इसकी स्थापना से बड़ी संख्या में दर्शकों को लाभ मिलेगा, क्योंकि इस जगह भारत और विदेश से अलग-अलग दर्शक और गणमान्य व्यक्ति बड़ी संख्या में आते हैं.”

प्रियंका गांधी ने लोकसभा में उठाया था सवाल

इससे पहले कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा में यह मुद्दा उठाया था. शून्यकाल में प्रियंका गांधी वाड्रा ने 1971 के युद्ध में भारतीय सेना की भूमिका को याद किया और कहा कि सेना मुख्यालय से पाकिस्तान के आत्मसमर्पण की प्रतिष्ठित तस्वीर हटा दी गई है. आत्मसमर्पण के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करते वक्त की इस तस्वीर में भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा और पाकिस्तानी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी के अलावा कई अन्य शीर्ष सैन्य अधिकारी भी नजर आ रहे हैं.

पाकिस्तान के आत्मसमर्पण की तस्वीर की जगह लगाई गई ये तस्वीर

कई रिपोर्टों के अनुसार, सेना मुख्यालय में जिस स्थान पर पहले पाकिस्तान के आत्मसमर्पण की पेंटिंग लगी हुई थी, अब उस पर ‘कर्म क्षेत्र’ नामक पेंटिंग लगी हुई है. यह पैंगोंग त्सो और चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत की क्षमताओं को दर्शाता है. इसमें बर्फ से ढके पहाड़ भी देखे जा सकते हैं. चाणक्य, गरुड़ और अर्जुन के रथ को चलाते हुए कृष्ण की तस्वीरें, टैंकों और हेलीकॉप्टरों के साथ दिखाई देती हैं, जो पौराणिक कथाओं और सैन्य क्षमताओं को एक साथ दर्शाती हैं. 

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