नॉर्वे के पूर्व जलवायु एवं पर्यावरण मंत्री एरिक सोलहेम (Erik Solheim) ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के पास वैश्विक शांतिदूत बनने के लिए सभी जरूरी तत्व मौजूद हैं, बशर्ते कि उनके पास सही विदेश नीति हो, जो तटस्थ रुख रखते हुए अन्य देशों के मामलों में हस्तक्षेप न करे.
समाचार एजेंसी आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में अनुभवी राजनयिक ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में देश की विदेश नीति मुख्य रूप से वैश्विक स्तर पर बिना किसी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किए, भारतीय हितों की रक्षा करने पर केंद्रित है, जो कि सही बात है.
सोलहेम ने कहा कि, “भारत किसी भी देश, खास तौर पर अमेरिका के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर रहा है. भारत सिर्फ अपने हितों का ध्यान रख रहा है… जो कि पीएम मोदी 3.0 शासन के तहत एकदम सही दृष्टिकोण है. यह दृष्टिकोण दुनिया को अधिक शांतिपूर्ण स्थिरता प्रदान करने वाला है.”
उन्होंने कहा कि आज दुनिया को खास तौर पर रूस-यूक्रेन और मध्य-पूर्व के तनाव से जुड़ी मौजूदा भू-राजनीतिक स्थितियों के संदर्भ में वैश्विक शांति निर्माताओं की आवश्यकता है.
IANS Exclusive
Former Minister of Climate and the Environment of Norway, Erik Solheim on PM Narendra Modi being a global peacemaker, says, “Indian foreign policy is primarily focused on catering to India’s interests, which is the right approach. India is not intervening in the… pic.twitter.com/DvxOrPHFJT
— IANS (@ians_india) December 21, 2024
नॉर्वे के डिप्लोमेट ने जोर देकर कहा, “पीएम मोदी उन राजनेताओं में से एक हैं जो तटस्थ हैं और शांति सुनिश्चित कर सकते हैं. हम 2025 में रूस-यूक्रेन युद्ध का अंत देख सकते हैं, और पीएम मोदी निश्चित रूप से इसे हासिल करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.”
नवंबर में प्रमुख वैश्विक निवेशक मार्क मोबियस ने आईएएनएस से कहा था कि पीएम मोदी वैश्विक मंच पर पॉलिटिकल स्पेक्ट्रम के सभी पक्षों के साथ बातचीत करने में सक्षम हैं और वे अपनी कोशिशों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं.
88 साल के मोबियस ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी एक बहुत ही महत्वपूर्ण शांतिदूत बन सकते हैं, क्योंकि दुनिया खासकर मौजूदा पश्चिम एशिया संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उथल-पुथल से गुजर रही है.
भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के बारे में सोलहेम ने कहा कि 2050 तक घरेलू विकास अमेरिकी अर्थव्यवस्था के बराबर हो जाएगा. सोलहेम ने कहा कि, “इस समय भारत में हर क्षेत्र में बहुत सकारात्मक विकास हो रहा है. यदि भारत हर साल आर्थिक विकास दर 7 प्रतिशत के आसपास बनाए रख सकता है, तो वह संभवतः 2050 तक इस लक्ष्य तक पहुंच जाएगा.”
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