प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (Economic Advisory Council) की तरफ से एक रिपोर्ट जारी की गयी है. जिसमें बताया गया है कि देश में पिछले 13 साल में प्रवासी मजदूरों की संख्या में गिरावट आयी है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2011 में प्रवासी मजदूरों की संख्या 45.57 करोड़ थी. जो 2023 में घटकर 40.20 करोड़ रह गयी. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि प्रवासी मजदूरों की संख्या में 12 प्रतिशत की गिरावट हुई है. रोजगार के लिए बिहार के लोग सबसे अधिक दिल्ली जाते हैं वहीं यूपी के लोगों का झुकाव महाराष्ट्र की तरफ अधिक रहा है. 

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रिपोर्ट के मुताबिक मुताबिक, “भारत में कुल मिलाकर घरेलू प्रवास धीमा हो रहा है. अनुमान है कि 2023 तक देश में प्रवासियों की कुल संख्या 40,20,90,396 रही होगी. यह जनगणना 2011 (45,57,87,621) के अनुसार गिने गए प्रवासियों की संख्या की तुलना में लगभग 11.78 प्रतिशत कम है.” पत्र में कहा गया है कि परिणामस्वरूप, जनगणना 2011 के अनुसार कुल जनसंख्या का 37.64 प्रतिशत प्रवासन दर घटकर 28.88 प्रतिशत हो गई है. 

ईएसी-पीएम के पूर्व चेयरमैन बिबेक देबरॉय द्वारा लिखे गए पेपर में कहा गया है, “हमारा अनुमान है कि यह प्रवासन के प्रमुख स्रोतों में या उसके निकट शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और संपर्क जैसी बेहतर सेवाओं की उपलब्धता के साथ-साथ बेहतर आर्थिक अवसरों के कारण है और यह समग्र आर्थिक वृद्धि का एक संकेतक है.”

जनगणना 2011 के अनुसार, केवल पांच राज्यों – उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल – में कुल बाहर जाने वाले प्रवासियों का लगभग 48 प्रतिशत हिस्सा हैं, इसमें राज्य के भीतर के प्रवासी भी शामिल हैं.  इसी तरह, केवल पांच राज्यों – महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु – में कुल आने वाले प्रवासियों का लगभग 48 प्रतिशत हिस्सा हैं. इसमें राज्य के भीतर के प्रवासी भी शामिल हैं. 

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