2019 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पर एक फिल्म द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर आई थी, जो संजय बारू द्वारा लिखी गई किताब द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर: द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह पर आधारित थी. फिल्म को विजय गुटे ने डायरेक्ट किया था. जबकि अनुपम खेर ने मनमोहन सिंह का किरदार निभाया था. विजय गुटे द्वारा निर्देशित इस फिल्म को लेकर पत्रकार वीर सांघवी ने सोशल मीडिया पर अपनी राय रखी थी. उन्होंने आरोप लगाया कि फिल्म द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री की छवि खराब की गई. फ़िल्म डायरेक्टर हंसल मेहता ने सांघवी की इस बात को 100 प्रतिशत सही कहा तो इस पर अनुपम खेर का रिएक्शन आया. इसके बाद अनुपम खेर और हंसल मेहता के बीच एक्स पर ज़ुबानी जंग शुरू हो गई.

वीर सांघवी ने लिखा, अगर आप मनमोहन सिंह के बारे में जो झूठ बोले गए थे उन्हें याद करना चाहते हैं, तो आपको द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर फिर से देखनी चाहिए. यह न केवल एक सबसे खराब हिंदी फिल्मों में से एक है, बल्कि यह इस बात का उदाहरण है कि कैसे मीडिया का इस्तेमाल एक अच्छे इंसान की छवि को धूमिल करने के लिए किया गया. इस पर हंसल मेहता ने लिखा 100 परसेंट सही.

इसके जवाब में अनुपम खेर ने एक्स पर लिखा, इस थ्रेड में झूठा और दोमुंहा व्यक्ति @virsanghvi नहीं है. उन्हें  फिल्म पसंद न आने का पूरा अधिकार है. लेकिन @mehtahansal द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर के #CreativeDirector थे. वह इंग्लैंड में फिल्म की पूरी शूटिंग के दौरान मौजूद थे! अपने रचनात्मक सुझाव दे रहे थे और शायद इसके लिए उन्होंने फीस भी ली होगी. तो, उनके लिए #VirSanghvi की टिप्पणी पर 100% सहमति जताना बहुत गड़बड़ और दोहरे मानकों से भरा हुआ है! न कि मैं मिस्टर सांघवी से सहमत हूं, लेकिन हम सभी से खराब या औसत दर्जे का काम हो सकता है. लेकिन हमें उसे अपनाना चाहिए. ऐसा नहीं कि #HansalMehta कुछ खास लोगों से तारीफ पाने के लिए कोशिश कर रहे हैं. हे Hansal!! बड़े हो जाओ! मेरे पास अब भी हमारी शूटिंग की सारी वीडियो और तस्वीरें हैं. 

हंसल मेहता ने अनुपम खेर को इस पर एक्स पर ही जवाब दिया, बिलकुल, मैं अपनी गलतियों को मानता हूं मिस्टर खेर. और मैं यह स्वीकार कर सकता हूं कि मैंने गलती की. क्या मैं नहीं कर सकता, सर? मैंने अपना काम को उसी पेशेवर तरीके से किया, जैसा मुझे करने की अनुमति थी. क्या आप इसे नकार सकते हैं? लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि मुझे फिल्म का लगातार बचाव करना पड़े या सही गलत की अपनी समझ को मैं पूरी तरह नजरअंदाज़ कर दूं. जहां तक फायदा लेने की बात है, तो मैं आदरपूर्वक कहना चाहता हूं कि ऐसा लगता है कि आप मुझे उसी पैमाने से आंक रहे हैं जिस से खुद को आंकते हैं.

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