Traffic Challan in Lok Adalat: 7000 का टैफिक जुर्माना मात्र 500 में क्लियर… यह कहानी है दिल्ली में लगे लोक अदालत की. जहां कल ट्रैफिक जाम पर खड़े वाहनों से अधिक वाहन चालक अपनी-अपनी बारी का इंतजार करते दिखे. इसी भीड़ में खड़े मुन्ना नामक एक ऑटो ड्राइवर ने बताया कि आज तो सस्ते में निपट जाएगा. 42 साल के मुन्ना पटियाला हाउस कोर्ट में लगे लोक अदालत में अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. उन पर तेज रफ्तार और गलत पार्किंग के लिए लगभग 7 हजार रुपये का जुर्माना था. दोपहर तक उनका जुर्माना घटकर 500 रुपये रह गया यानी 92% की भारी छूट!

ट्रैफिक चालान की क्लियरेंस सेल बनी नजर आई लोक अदालत

मुन्ना की तरह ही कई लोग अन्य भी अपने वाहनों पर लगे भारी-भरकम जुर्माने के निदान के लिए पहुंचे थे. कई लोगों को लोक अदालत में भारी छूट भी मिली. एक रूप से कहा जाए तो लोक अदालत ट्रैफिक चालान की ‘क्लियरेंस सेल’ बनी नजर आई. यहां कई लोग ऐसे भी थे, जिनका कहना था कि ऑनलाइन जुर्माना क्यों भरना, जब लोक अदालत में भारी छूट पर चालान क्लियर हो ही रहा है.

नालसा ने बताया दिल्ली में कितने मामलों का हुआ निपटारा

नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी(NALSA) के अनुसार शनिवार 8 मार्च को दिल्ली में लगी नेशनल लोक अदालत में एक लाख 53 हजार से ज्यादा मामलों का निपटारा किया गया. जिसमें सेटलमेंट की रकम 400 करोड़ से ज्यादा रही. NALSA ने बताया कि इस मौके पर पूरे देश में लगभग 1 करोड़ 57 लाख 55 हजार 783 मामले निपटाए गए.

दिल्ली में 405 करोड़ की राशि का हुआ सेटलमेंट

दिल्ली में कुल 1 लाख 53 हजार 437 मामले समझौते के साथ निपटाए गए. इनमें निपटान राशि 405.18 करोड़ रुपये थी. इसमें जिला अदालतों का योगदान 1,52,019 मामले निपटाने में रहा. पूरी दिल्ली में 1 लाख 22 हजार 064 ट्रैफिक चालानों का निपटारा भी इस लोक अदालत में किया गया. जिसमें जुर्माना राशि के तौर पर 1.65 करोड़ की वसूली की गई.

उल्लेखनीय हो कि दिल्ली में हर कुछ महीनों में लगने वाली लोक अदालतें ट्रैफिक ‘क्लियरेंस सेल’ में बदल जाती हैं. हजारों ट्रैफिक नियम तोड़ने वाले लोग भी जानबूझकर जुर्माना भरने में देरी करते हैं. ताकि लोक अलादत में कम कीमत पर अपना चालान निपटा लें.

लोग बोले- जब लोक अदालत में छूट मिलती है तो पूरा जुर्माना क्यों भरूं

जिस मुन्ना नामक ऑटो ड्राइवर का 7 हजार का चालान मात्र 500 में क्लियर हुआ. उसने साफ कहा कि मेरे ऊपर 90 बुकिंग हैं और मैं धीरे-धीरे जुर्माना भर रहा हूं. मुन्ना ने आगे बताया कि आधे समय मुझे पता ही नहीं चलता कि स्पीड कैमरे कहां लगे हैं. जब लोक अदालत में इतनी छूट मिलती है, तो मैं पूरा जुर्माना क्यों भरूं?”

हर कोर्ट परिसर में ट्रैफिक कोर्ट बनाने की कोशिश

लोक अदालत में उमड़ी भीड़ पर स्पेशल सीपी (ट्रैफिक) अजय चौधरी ने कहा कि हां, बकाया बहुत ज्यादा है और लोक अदालत का इंतजार करने वाले लोग इसे और बढ़ा देते हैं. इसलिए, हम लोक अदालतों को बढ़ाने पर काम कर रहे हैं. यह कोशिश भी की जा रही है कि हर कोर्ट परिसर में एक अलग ट्रैफिक कोर्ट बनाना जाए.

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