अब तो रिसर्च ने भी पुख्ता कर दिया कि किसी भी घर की खुशहाली तभी संभव है जब घर की मालकिन या मालिक खुश हों. जर्नल साइकोन्यूरोएंडोक्राइनोलॉजी में प्रकाशित एक हालिया स्टडी में पाया गया कि जीवन साथी का अच्छा मूड ही खुशहाली की गारंटी है. लेकिन आखिर ये होता कैसे है? दरअसल, शोधकर्ताओं ने जर्मनी और कनाडा के 321 जोड़ों के आंकड़ों का विश्लेषण किया और पाया कि जब किसी का साथी सामान्य से ज्यादा उत्साहित महसूस कर रहा था, तो इससे उनके कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) लेवल गिर गया. यह प्रभाव उन बुजुर्गों में और भी ज्यादा स्पष्ट था, जो अपने लंबे खुशहाल जीवन से संतुष्ट थे. ध्यान देने वाली बात यह रही कि इसका उलटा होता नहीं दिखा. मतलब अगर कपल में से किसी एक का भी मूड खराब है तो इसका जीवन साथी के कोर्टिसोल लेवल पर कोई असर नहीं पड़ता.

अध्ययन कम उम्र के दंपत्तियों पर नहीं बल्कि परिपक्व जीवन साथियों पर हुआ. ये वो थे जिनकी उम्र 56 से 87 के बीच थी और उनके रिश्तों की औसत अवधि 43.97 साल थी, यानी करीब 44 साल तक ये लोग साथ-साथ थे. निष्कर्षों से पता चलता है कि लंबे समय तक कमिटेड रिलेशनशिप्स में रहने वाले बुजुर्ग जोड़े एक-दूसरे को नकारात्मक भावनाओं के प्रभाव से बचाने के तरीके खोज लेते हैं.

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यह जरूरी है, क्योंकि एडल्ट्स को उम्र बढ़ने के साथ अपने मूड को कंट्रोल करना अक्सर कठिन लगता है. स्ट्रेसफुल घटना के बाद बुजुर्गों में कोर्टिसोल लंबे समय तक हाई लेवल पर बना रहता है और एजिंग ब्रेन इसे रोकने में काफी संघर्ष करता है. ये परिणाम उम्र से संबंधित तनाव के लिए एक मनोवैज्ञानिक बफर के रूप में काम कर सकता है.

वैसे यह पहली बार नहीं है जब विज्ञान ने एक खुशमिजाज साथी को लेकर स्टडी पेश की हो. 2016 के एक अध्ययन में भी ऐसा ही कुछ पाया गया. ऐसा ही कुछ 85 साल लंबे हार्वर्ड शोध प्रोजेक्ट में सामने आया. स्पष्ट हुआ कि खुशहाल विवाह लंबे, हेल्दी लाइफ की कुंजी होता है.

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