जैसे-जैसे बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीख नज़दीक आ रही है, वैसे-वैसे विपक्षी दलों की मुसीबत बढ़ती जा रही है. पहले बाबाओं का दौरा और उसके बाद ईडी की दबिश. राजद और कांग्रेस लगातार परेशान है कि बाबाओं के बिहार दौरे से जो हिंदुत्व का एजेंडा फैल रहा है उससे निपटें या फिर इन केंद्रीय एजेंसियों से, जो लालू परिवार को धीरे-धीरे घेर रही है. बुधवार को पटना के प्रवर्तन निदेशालय में लालू प्रसाद यादव से पूछताछ की गई.

इससे पहले मंगलवार को उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बड़े बेटे तेज प्रताप यादव से भी लंबी पूछताछ हुई थी. लालू प्रसाद यादव से चार घंटे तक ईडी ने सवाल-जवाब किए.

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लालू यादव का कुनबा इस बात से खासा परेशान है कि इस मुसीबत से कैसे निकलें? जहां एक ओर तेजस्वी और लालू इस कवायद में लगे हैं कि वो पार्टी को इलेक्शन मोड में कैसे लाएं,  वहीं दूसरी ओर उन्हें लगातार ईडी के दफ्तर में हाजिरी लगानी पड़ रही है और इससे विपक्ष को उनके खिलाफ माहौल बनाने का मौका मिल रहा है.

इसके ठीक पहले बिहार में विपक्ष का पूरा कुनबा परेशान था, जब एक के बाद एक कई बड़े धर्मिक लोगों का बिहार दौरा हो रहा था. चाहे वो श्री श्री रविशंकर हों या फिर धीरेंद्र शास्त्री, या आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत, सभी लगातार बिहार में अलग-अलग क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं और इससे राजद, कांग्रेस जैसी पार्टियों की नींद उड़ी हुई है.

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बिहार में चुनाव नज़दीक देख दोनों कुनबा अपना-अपना पत्ता खेलने में लगा है. भाजपा की ओर से कई बड़े-बड़े नाम बिहार का दौरा कर रहे हैं, जो लोगों के धार्मिक ध्रुवीकरण में पूरी तरह सक्षम हैं. वहीं राजद जैसी पार्टी लगातार आरक्षण और महिलाओं का मुद्दा उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश में है. हालांकि ईडी जैसी एजेंसियों की दबिश उनके इस मुहिम में रुकावट बन रही है.
 

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