बांग्लादेश में सैन्य शासन लागू होने या आपातकाल लगने की अटकलें सेना, प्रशासन और छात्र संगठनों के बीच बढ़ते तनाव के कारण शुरू हुई है. चर्चा है कि बांग्लादेशी आर्मी मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के खिलाफ कदम उठा सकती है.
ढाका में बांग्लादेशी सेना की तैनाती ने तख्तापलट की अफवाहों को और हवा दी है. रिपोर्टों से पता चलता है कि बांग्लादेशी सेना की सावर स्थित 9वीं डिवीजन की टुकड़ियां इक्ट्ठी हो रही हैं और उन्होंने चरणबद्ध तरीके से राजधानी में प्रवेश करना शुरू कर दिया है.
देश के प्रमुख मीडिया आउटलेट, नॉर्थईस्ट न्यूज के अनुसार, सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों का कहना है कि सेना खासतौर से ढाका में नियंत्रण मजबूत करने की कोशिश कर रही है.
हाल के महीनों में राजनीतिक दलों और छात्र संगठनों के बढ़ते विरोध के कारण तनाव बढ़ गया है, जिससे सैन्य हलकों में बेचैनी पैदा हो गई है. इन हालात ने कथित तौर पर सेना के भीतर कुछ गुटों को असहमति की आवाजों को नियंत्रित करने के उपायों पर विचार करने के लिए प्रेरित किया.
बांग्लादेश के आर्मी चीफ वकार उज जमां के नेतृत्व में सेना ने सोमवार को एक इमरजेंसी बैठक की. जिसमें 5 लेफ्टिनेंट जनरल, 8 मेजर जनरल (जीओसी), स्वतंत्र ब्रिगेड के कमांडिंग अधिकारी और सेना मुख्यालय के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए. इस आपातकालीन बैठक ने यूनुस के तख्तापलट की चर्चा को मजबूती दी है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कुछ दिनों में मोहम्मद यूनुस चीन के दौरे पर जाने वाले हैं. बांग्लादेश के लिहाज से उनकी यह यात्रा अहम मानी जा रही है. लेकिन इस यात्रा से पहले तख्तापलट की चर्चा तेज होने से राजनीतिक उथल-पुथल तेज हो गई है.
हालांकि बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वाकर ने किसी भी आवेगपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि इस तरह के कदम देश को अस्थिर करने की कोशिश करने वालों के हितों की पूर्ति कर सकते हैं.
नाजुक हालात ने एक और मोड़ तब ले लिया जब शुक्रवार को जारी एक पूर्व-रिकॉर्डेड वीडियो में एक छात्र नेता ने सेना प्रमुख के खिलाफ विस्फोटक आरोप लगाए. एक अन्य प्रमुख छात्र कार्यकर्ता और नई नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी), हसनत अब्दुल्ला ने हाल ही में सेना के खिलाफ एक जन आंदोलन शुरू करने की धमकी दी.
अंतरिम सरकार में स्थानीय सरकार, ग्रामीण विकास और सहकारिता मंत्रालय के सलाहकार के रूप में कार्य करने वाले आसिफ महमूद शोजिब भुइयां ने दावा किया कि जनरल वाकर शुरू में मुख्य सलाहकार के रूप में मोहम्मद यूनुस की नियुक्ति का समर्थन करने में अनिच्छुक थे.
11 मार्च को अब्दुल्ला और जनरल वाकर के बीच एक गुप्त बैठक की खबरें आईं, जिसके दौरान सेना प्रमुख ने कथित तौर पर शेख हसीना की अवामी लीग के राजनीति में लौटने और चुनाव लड़ने की संभावना का संकेत दिया.