उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि तमिलनाडु जैसे राज्यों में हिंदी को लेकर विवाद नेताओं द्वारा अपने संकीर्ण राजनीतिक हितों के लिए पैदा किया जा रहा है. न्‍यूज एजेंसी पीटीआई के साथ एक खास इंटरव्‍यू में सीएम योगी ने बताया कि यूपी के स्‍कूलों में छात्रों को कन्‍नड़, मलयालम, तेलुगू और बंगाली जैसी भाषाएं पढ़ाई जा रही हैं और इससे कोई प्रदेश छोटा नहीं हो जाता है. 

सीएम योगी ने कहा, ‘यूपी में हम तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़, बंगाली और मराठी पढ़ा रहे हैं, तो क्या इससे यूपी छोटा हो गया है? यूपी में रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं, नौकरियां पैदा हो रही हैं. देखिए, जो लोग अपने संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थों के कारण इस भाषा विवाद को जन्म दे रहे हैं, वे अपने राजनीतिक मकसद तो पूरे कर सकते हैं, लेकिन वे एक तरह से युवाओं के रोजगार पर हमला कर रहे हैं.’

सीएम योगी से पूछा गया कि क्‍या आपका इशारा स्‍टाालिन की तरह है…? तो उन्‍होंने कहा, ‘चाहे कोई भी हो, ये सब यही कर रहे हैं. इसी कारण धीरे-धीरे करके ये राज्‍य पिछड़ते जा रहे हैं.’

क्‍या है भाषा विवाद? 

तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी द्रमुक, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर राज्य में हिंदी थोपने का आरोप लगा रही है. राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दोनों दलों के बीच जुबानी जंग और तेज हो सकती है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने अपने हालिया बयान की भी याद दिलाई कि यदि केंद्र हिंदी सीखने के लिए धनराशि जारी करता है, तो हमें उस पैसे की आवश्यकता नहीं है; हम तमिल भाषा की रक्षा करेंगे. 2,000 करोड़ रुपये क्यों? केंद्र 10,000 करोड़ रुपये भी दे तो हम 3-भाषा नीति को स्वीकार नहीं करेंगे. मैंने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है.

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