इंडियन सिनेमा में एक से एक ब्लॉकबस्टर फिल्में बनी हैं, जो आज भी पसंद और याद की जाती हैं. पहले के सिनेमा की बात करें तो उस जमाने में फिल्म की एक-एक चीज का बखूबी ख्याल रखा जाता था और फिल्म मेकिंग में बहुत समय दिया जाता था. गुजरे जमाने की एक फिल्म ऐसी भी है, जिसे बनाने में 14 साल लगे थे. हिंदी सिनेमा की इस आइकॉनिक फिल्म को बनाने में मेकर्स ने पानी की तरह पैसा बहाया था. मोटे बजट में बनी इस फिल्म ने ऐसा इतिहास रचा है कि जब तक हिंदी सिनेमा जिंदा है, तब-तक इस फिल्म का अस्तित्व बना रहेगा.

टिकट के लिए रातभर सड़क पर सोए थे लोग

60 के दशक में रिलीज हुई इस फिल्म के सिर्फ एक ही गाने पर 10 लाख रुपये बहा दिए थे. 60 के दशक में 10 लाख रुपये आज 50-60 करोड़ रुपये से कम नहीं है. इस फिल्म को जब रिलीज किया गया तो थिएटर को दुल्हन की तरह सजाया गया था. इस फिल्म को देखने के लिए थिएटर के बाहर रोजाना लंबी-लंबी लाइन लगती थी. फिल्म की एडवांस बुकिंग सोमवार को शुरू होती थी और दर्शक शनिवार से ही लाइन में खड़े रहते थे. हम बात कर रहे हैं साल 1960 में रिलीज हुई फिल्म मुगल ए आजम की. यह फिल्म आज भी उतनी पसंद की जाती है, जितनी की पहले. गौरतलब है कि इस फिल्म की टिकट के लिए 5 किमी लंबी कतारें लगा करती थी. कई दर्शक तो रातभर सड़क पर ही सोए और सुबह उठकर टिकट खरीदी. ऐसा कई दिनों तक चलता रहा.  

आजतक नहीं टूटा इस फिल्म का रिकॉर्ड

इस फिल्म में उस वक्त के टॉप स्टार्स दिलीप कुमार और मधुबाला लीड रोल में थे. फिल्म का निर्देशन के आसिफ ने किया था. दिलीप कुमार फिल्म को नहीं करना चाहते थे, लेकिन मेकर्स के मान-मनौव्वल के बाद वह मान गए. फिल्म के सभी गाने हिट हैं, लेकिन ‘प्यार किया तो डरना क्या’ पर 10 लाख रुपये खर्च किए गये थे. के आसिफ ने एक मोती के कम पड़ने पर भी कई दिनों तक के लिए शूटिंग रोक दी थी. उस दौर की यह महंगी फिल्मों में से एक है. 

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