जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक ने तिहाड़ जेल में रहते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. इस दौरान उन्होंने कोर्ट से खास गुहार लगाई है. दरअसल, कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही जस्टिस अभय एस ओक ने उनसे पूछा कि मलिक साहब आप क्या कहना चाहते हैं? इसपर यासीन मलिक ने कोर्ट से कहा कि मैंने हलफनामा दाखिल किया है. मेरा विनम्र अनुरोध है कि मैं 7 मिनट बोलने दीजिए. कोर्ट ने आदेश दिया है कि मैं गवाहों से जिरह करने के लिए कोर्ट में मौजूद रहूं. 

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यासीन मलिस ने कोर्ट से आगे कहा कि एसजी तुषार मेहता और पुलिस के बयानों ने मेरे खिलाफ सार्वजनिक नेरेटिव बनाया है. वो कह रहे हैं कि मैं एक खूंखार आतंकवादी हूं. सीबीआई की आपत्ति यह है कि मैं सुरक्षा के लिए खतरा हूं.मैं उसी पर प्रतिक्रिया दे रहा हूं. मेरे और मेरे संगठन के खिलाफ किसी भी आतंकवादी को समर्थन देने या किसी भी तरह का ठिकाना मुहैया कराने के लिए एक भी एफआईआर दर्ज नहीं है. मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज हैं, लेकिन वे सभी मेरे अहिंसक राजनीतिक विरोध से संबंधित हैं. 

यासीन मलिक की इन बात सुनने के बाद जस्टिस अभय ओक ने कहा कि हम इस मुद्दे पर फैसला नहीं कर रहे हैं कि आप राजनेता हैं या आतंकवादी. मुद्दा सिर्फ इतना है कि आप गवाहों से जिरह कर सकते हैं.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यहां मुद्दा यह नहीं है कि आप आतंकवादी हैं या नहीं. मुद्दा यह है कि आपको वीसी के माध्यम से गवाहों से जिरह करने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं. यही एकमात्र मुद्दा है. हमें मामले की मेरिट से कोई सरोकार नहीं है. 
 

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