अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव संपन्न हो चुके हैं और डोनाल्ड ट्रंप ने जीत हासिल की है. इसका असर अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेड रिजर्व (US Central Bank) पर भी देखने को मिल रहा है. फेडरल बैंक ने नवंबर महीने के ब्याज दरों में बहुत ही कम कटौती की है. पहले माना जा रहा था कि अमेरिकी सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में 0.50 % की कटौती करेगा.लेकिन ट्रंप की जीत के बाद ब्याज दरों में उम्मीद से कम यानी कि 0.25 फीसदी की कटौती देखी जा रही है. माना ये भी जा रहा था कि हो सकता है कि फेड रिजर्व ब्याज दरों को जैसे का तैसा ही रखे, इसमें कुछ बदलाव न करे. 

अमेरिकी केंद्रीय बैंक चीफ ने उन अटकलों पर भी प्रतिक्रिया दी है, जिनमें कहा जा रहा था कि डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने की तैयारी के बीच उनका पद खतरे में पड़ सकता है. फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने कहा कि ट्रंप के कहने पर वह पद नहीं छोड़ेंगे और व्हाइट हाउस उन्हें जबरन बाहर नहीं निकाल सकता. कानून के तहत इसकी अनुमति नहीं है. 

ऐसे बढ़ सकती है सरकारी उधारी 

पॉवेल ने मीडिया से बातचीत में उनके सवालों का जवाब देते हुए कहा कि जब बैंक ने उधार लेने की लागत में कटौती का ऐलान किया, फेड के मुख्य लैंडिंग पेज को 4.5% -4.75% तक कम कर दिया. पूर्वानुमान जताने वालों ने उम्मीद जताई है कि आने वाले महीनों में उधार लेने की लागत में और गिरावट देखी जाएगी. उन्होंने  चेतावनी दी है कि टैक्स कटौती, आव्रजन और टैरिफ के लिए ट्रंप की नीतियां मुद्रास्फीति पर दबाव बनाए रख सकती हैं और सरकारी उधारी को बढ़ा सकती हैं, जिससे ये दांव जटिल हो जाएंगे.

ट्रंप ने अमेरिका में आने वाले सभी सामानों पर कम से कम 10% आयात शुल्क लगाने की बात कही है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि लागत उपभोक्ताओं पर डाली जाएगी, जिससे कीमतें बढ़ सकती हैं.

टैक्स कटौती से मुद्रास्फीति पर हो सकता है असर

टैक्स कटौती भी खर्च को प्रोत्साहित करके मुद्रास्फीति को बढ़ावा दे सकता है, जबकि ट्रंप द्वारा प्रस्तावित आप्रवासियों का बड़े पैमाने पर निर्वासन अमेरिकी कार्यबल में एक बड़ी पेरशानी पैदा करेगा जो वेतन बढ़ा सकता है. इस हफ्ते अमेरिकी लोन पर ब्याज दरों में पहले ही उछाल आया है, जो उन चिंताओं को दिखाता है. 

पॉवेल ने गुरुवार को कहा कि यह बताना जल्दबाजी होगी कि नए प्रशासन का एजेंडा अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित कर सकता है या फेड को कैसी प्रतिक्रिया देनी चाहिए.उन्होंने कहा कि ये शुरुआती फेज है.हमें नहीं पता कि क्या नीतियां हैं, हम नहीं जानते कि आने वाले समय में उन्हें कब लागू किया जाएगा.उन्होंने कहा कि चुनाव का उनके नीतिगत फैसलों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

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