केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को कहा कि, फेक न्यूज (फर्जी खबरें) आज लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है. जागरूक नागरिक भी कभी-कभी फेक न्यूज के चंगुल में आ जाते हैं. दंगा, प्रदर्शन और यहां तक कि धरने भी गलत जानकारी की वजह से विकसित देशों तक में हो जाते हैं. यही वजह है कि जिस प्लेटफार्म पर फेक न्यूज हो उसको भी जिम्मेदारी के दायरे में लाना चाहिए. इस पर पूरी दुनिया भर में बहस हो रही है. 

भारतीय प्रेस परिषद ने राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर नई दिल्ली में स्थित राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में समारोह आयोजित किया. इस समारोह को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संबोधित किया. समाज में स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका स्पष्ट करने के लिए हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है. 

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि, कंटेंट क्रिएटर और प्लेटफार्म, एल्गोरिदम इस तरह से बनाया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग प्लेटफार्म पर आएं. इन प्लेटफार्म पर इस तरह के कंटेंट ज्यादा डाले जाते हैं. लेकिन हमारे देश में जहां कई धर्म और भाषा हों वहां इसका जिम्मेदारी से प्रयोग एक बड़ी चुनौती है.

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि समय के साथ मीडिया की धारणा बदली है. आज मीडिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती जनता को सटीक, तथ्य-आधारित समाचार पेश करना है. मीडिया ने प्रेस की स्वतंत्रता के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है. पहले ब्रिटिश शासन के दौरान और बाद में 1975 के आपातकाल के दौरान.

उन्होंने कहा कि भारत में 35 हजार दैनिक समाचार पत्र और एक हजार पंजीकृत समाचार चैनल हैं. समाचार अब डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए लाखों लोगों तक पहुंच रहे हैं, जिससे मीडिया की पहुंच बढ़ रही है. 

वैष्णव ने भारत में डिजिटल मीडिया के तेजी से विकास को स्वीकार करते हुए भ्रामक और फर्जी खबरों के प्रसार पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि मीडिया का काम लोगों को शिक्षित करना और जागरूकता बढ़ाना है. आज एक अहम मुद्दा यह है कि फर्जी खबरें फैलाने के लिए कौन जिम्मेदार है, उसकी पहचान की जाए. दूरदराज के गांवों में रहने वाले लोग भी मोबाइल फोन के जरिए देश और दुनिया की खबरों से अपडेट रहते हैं. इसलिए डिजिटल मीडिया को तथ्य आधारित कंटेंट देने पर ध्यान देना चाहिए.

वैष्णव ने कहा कि, आखिरी में सबसे बड़ी चुनौती आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस (AI) है. यह वास्तविक कंटेंट क्रिएटर के लिए बड़ी चुनौती है. एक समाज और देश के तौर पर इन चुनौतियों को देखना चाहिए. विकसित भारत 2047 में बनाने के लिए हमें सामंजस्य वाला समाज चाहिए.

उन्होंने कहा कि, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उदय उन रचनाकारों के लिए नैतिक और आर्थिक चुनौतियां पेश करता है जिनके काम का उपयोग एआई मॉडलों को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाता है. उन्होंने मूल रचनाकारों के बौद्धिक संपदा (IP) अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया. मंत्री ने सवाल किया, “आज एआई मॉडल उन विशाल डेटासेट के आधार पर रचनात्मक सामग्री तैयार कर सकते हैं, जिन पर उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है. लेकिन उस डेटा में योगदान देने वाले मूल रचनाकारों के अधिकारों और मान्यता का क्या होता है? क्या उन्हें उनके काम के लिए मुआवजा या मान्यता दी जा रही है?” उन्होंने कहा, “यह सिर्फ़ आर्थिक मुद्दा नहीं है, यह एक नैतिक मुद्दा भी है.”
(इनपुट आईएएनएस से भी)

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