
कोर्ट ने ये भी कहा कि प्रस्तावना में समाजवादी और पंथ-निरपेक्ष शब्दों को जोड़ने से चुनी हुई सरकारों की नीतियों और विधायी कामों में कोई पाबंदी नहीं लगी है. बशर्ते ऐसे काम संवैधानिक और मौलिक अधिकारों के ख़िलाफ़ न हों और संविधान के बुनियादी स्वरूप से छेड़छाड़ न करते हों.