उच्चतम न्यायालय ने बिहार विधान परिषद के सदस्य तथा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता सुनील कुमार सिंह का, ‘‘अशोभनीय आचरण” के लिये पिछले साल सदन से निष्कासन मंगलवार को यह कहते हुये रद्द कर दिया कि यह सजा अत्यधिक है. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने सुनील कुमार सिंह की याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिन्होंने आचार समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर पिछले वर्ष जून में बिहार विधान परिषद से अपने निष्कासन को चुनौती दी थी.

राजद नेता ने न्यायालय के आदेश को ‘‘लोकतंत्र की जीत” बताया. विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि आदेश की प्रति मिलने के बाद वह उचित कार्रवाई करेंगे. पीठ ने 50 पृष्ठ के अपने फैसले में कहा, ‘‘रिकार्ड में प्रस्तुत सामग्री के आधार पर यह स्पष्ट है कि सदन में याचिकाकर्ता का आचरण घृणित था तथा विधानमंडल के सदस्य के अनुरूप नहीं था.” सिंह के आचरण के बावजूद, न्यायालय ने कहा कि संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के संरक्षक के रूप में सदन को उदारता दिखानी चाहिए और अपने सदस्यों के खिलाफ अनुचित टिप्पणियों से ऊपर उठना चाहिए.

अदालत ने कहा, ‘याचिकाकर्ता को तत्काल प्रभाव से बिहार विधान परिषद के सदस्य के रूप में बहाल करने का निर्देश दिया जाता है.’ साथ ही अदालत ने सिंह के निष्कासन से रिक्त हुई सीट पर उपचुनाव के लिए निर्वाचन आयोग के आदेश को रद्द कर दिया. उल्लेखनीय है कि जद(यू) नेता ललन प्रसाद ने उपचुनाव के लिए पिछले महीने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था. उपचुनाव 23 जनवरी को होना था, लेकिन न्यायालय द्वारा परिणाम की घोषणा पर रोक लगा दिए जाने के कारण इसे रोक दिया गया था.

लेकिन अगर यह रोक नहीं होती तो प्रसाद निर्विरोध निर्वाचित हो जाते क्योंकि कोई अन्य उम्मीदवार मैदान में नहीं उतरा था. अदालत के इस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कहा, ‘‘सुनील कुमार सिंह को बहाल करने के संबंध में आदेश की प्रति प्राप्त होने पर उचित कार्रवाई की जाएगी.” राजद प्रमुख लालू प्रसाद और उनके परिवार के करीबी माने जाने वाले सिंह को पिछले साल 26 जुलाई को सदन में उनके अशोभनीय आचरण के लिए बिहार विधान परिषद से निष्कासित कर दिया गया था.

सिंह की सीट का कार्यकाल 2026 में समाप्त हो रहा है. वह सदन में अपनी पार्टी के मुख्य सचेतक भी थे. जद(यू) सुप्रीमो नीतीश कुमार द्वारा राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन को छोड़कर भाजपा के साथ नयी सरकार बना लिए जाने के बाद सिंह और उनकी पार्टी के सहयोगियों का कुमार के साथ विवाद हो गया था. हालांकि, जद(यू) के वरिष्ठ नेता और राज्य के संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा, ‘‘अदालत ने सिंह को उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से बरी नहीं किया है. उन्हें भविष्य में बुरा व्यवहार न करने की चेतावनी भी दी गई है.”

चौधरी ने कहा कि अदालत के आदेश में कहा गया है कि ‘‘याचिकाकर्ता द्वारा पहले से ही निष्कासन की अवधि को सदन से उसके निलंबन की अवधि के रूप में माना जाएगा और यह उनकी हरकत के लिए पर्याप्त सजा होगी. आचार समिति ने सिंह और एक अन्य राजद एमएलसी कारी सोहैब पर मुख्यमंत्री के साथ ‘‘अशोभनीय” आचरण करने का आरोप लगाया था, लेकिन बाद में कारी सोहैब ने खेद व्यक्त किया.

अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि आचार समिति के समक्ष सिंह का आचरण ‘नियामक प्रक्रिया को कमजोर करने और न्याय प्रदान करने में बाधा डालने के जानबूझकर किए गए प्रयास को रेखांकित करता है.” हालांकि, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि सिंह ने बहाली के बाद अनुचित व्यवहार का प्रदर्शन किया तो आचार समिति या सभापति उचित कानूनी कार्रवाई करेंगे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *