महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है, जहां श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने और उनकी पूजा अर्चना करने के लिए जुट रहे हैं. काशी विश्वनाथ मंदिर में मंगला आरती की गई है. भीड़ को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के लिए विशेष इंतजाम किए हैं. पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को तैनात किया गया है, ताकि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

उज्जैन : महाशिवरात्रि के अवसर पर श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में विशेष भस्म आरती 
 

महाशिवरात्रि के अवसर पर पूजा करने के लिए महिपालपुर के शिव मूर्ति मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ी।

महाशिवरात्रि वह दिन है जब आप भोलेनाथ को प्रिय सामग्री चढ़ाकर उन्हें और प्रसन्न कर सकते हैं. मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की सालगिरह के रूप में मनाए जाने वाले इस पर्व में शिवलिंग पर दूध, दही के साथ कुछ और खास सामग्रियां चढ़ाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भगवान की विशेष कृपा मिलती है.

महाशिवरात्रि का अर्थ.. शिव यानि कल्याणकारी रात्रि’ होता है. प्रदोष काल में गंगाजल, गाय का दूध, दही, शहद एवं चीनी शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए. इसके बाद शिवलिंग पर इत्र मल-मलकर लगाना चाहिए और फिर वस्त्र, रोली, भस्म, अक्षत, फूल, बेलपत्र, मौली, अष्टगंध, काला तिल, भांग चढ़ाकर पंचाक्षर मंत्र ‘ऊं नमः शिवाय’ का जाप करना चाहिए. इसके बाद शिव जी को धतूरा, मन्दार का फूल, दूब (या दूर्वा) भी चढ़ाना चाहिए जो उन्हें अत्यन्त प्रिय होता है.

महाशिवरात्रि की बात करें तो इस पावन अवसर पर देवघर में चतुष्प्रहर पूजा होती है. बाबा को सिंदूर अर्पित किया जाता है, जिससे शिव विवाह की परंपरा पूर्ण होती है. बाबा को मोर मुकुट चढ़ता है. यह अविवाहित लोगों के लिए विशेष है, मोर मुकुट चढ़ाने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं. महाशिवरात्रि पर बाबा का श्रृंगार नहीं होता है, रातभर पूजा होती है और महादेव का विवाह संपन्न होता है. पंचशूल के गठबंधन की भी मान्यता है, ऐसा करने से मनोकामना की पूर्ति होती है.

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