अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आखिर क्या करने की कोशिश कर रहे हैं? ये सवाल इसलिए क्यों कि उन्होंने दावा किया था भारत टैरिफ कटौती पर राजी हो गया है. वहीं भारत का कहना है कि अब तक ऐसा कोई समझौता हुआ ही नहीं. दरअसल ट्रंप ने पिछले दिनों दावा किया था कि भारत टैरिफ कटौती (India-US Tariff Issue) पर सहमत हो गया है. जब कि भारत का कहना है कि इस मुद्दे पर अमेरिका संग अब तक कोई समझौता नहीं हुआ है, दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है. ट्रंप के दावे के दो दिन बाद भारत सरकार ने सोमवार को संसदीय पैनल को ये बात बताई. सरकार ने कहा कि व्यापार शुल्क को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ है. इस मुद्दे के हल के लिए सितंबर तक का समय मांगा गया है. बता दें कि पिछले दिनों ट्रंप ने 2 अप्रैल से टैरिफ लागू करने की धमकी दी थी.

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“टैरिफ कटौती पर अब तक कोई समझौता नहीं”

वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति को बताया कि भारत-अमेरिका के बीच टैरिफ को बहुत कम करने को लेकर अब तक कोई समझौता नहीं हुआ है. दोनों ही द्विपक्षीय व्यापार समझौते की दिशा में काम कर रहे हैं. सिर्फ तत्काल टैरिफ के मुद्दे पर ही नहीं दीर्घकालिक व्यापार सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.

वहीं समिति के कई सदस्यों ने ट्रंप के उस दावे पर चिंता जाहिर की, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत टैरिफ घटाने को राजी हो गया है. असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा और टीएमसी की सागरिका घोष जैसे कुछ विपक्षी सांसदों ने इसे लेकर सवाल पूछे. जिस पर सुनील बर्थवाल ने कहा कि किसी को भी ट्रंप के दावों और मीडिया रिपोर्टों पर भरोसा नहीं करना चाहिए, क्यों कि दोनों ही देशों के बीच समझौते पर बातचीत अभी भी जारी है. उन्होंने संसदीय समिति को बताया कि भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार शुल्क के मोर्चे पर किसी भी तरह की प्रतिबद्धता नहीं जताई है. 

“टैरिफ वॉर छिड़ने से आ सकती है मंदी”

सूत्रों के मुताबिक, समिति के कई सदस्यों ने बर्थवाल से अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता पर कई सवाल पूछे. जिस पर उन्होंने कहा कि  व्यापार वार्ता के दौरान भारत के हितों का ध्यान रखा जाएगा. उन्होंने समिति से कहा कि भारत मुक्त व्यापार के पक्ष में है और व्यापार का उदारीकरण चाहता है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि टैरिफ वॉर छिड़ने से अमेरिका समेत किसी को भी फायदा नहीं होगा, इससे मंदी के हालात पैदा हो सकते हैं.  

“हम कनाडा की तरह आवाज क्यों नहीं उठा रहे?”

इस दौरान कुछ संसद सदस्यों ने वाणिज्य सचिव से पूछा कि भारत सीमा शुल्क पर अमेरिकी कदमों को लेकर मेक्सिको और कनाडा की तरह अपनी आवाज क्यों नहीं उठा रहा. इस पर बर्थवाल ने कहा कि दोनों मामलों की तुलना नहीं की जा सकती, क्योंकि अमेरिका के उनके साथ सुरक्षा संबंधी चिंताएं और सीमा आव्रजन संबंधी मुद्दे हैं. 

समिति से वाणिज्य सचिव ने क्या कहा?

उन्होंने कहा कि भारत ऐसे उद्योगों की रक्षा करेगा जो उसकी घरेलू अर्थव्यवस्था के लिए अहम हैं. भारत द्विपक्षीय रूप से सीमा शुल्क कम कर सकता है लेकिन बहुपक्षीय रूप से ऐसा नहीं कर सकता. इसी वजह से द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर काम किया जा रहा है. 
 

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