आज के वक्त में स्कूलों में स्टूडेंट्स को फिजिकल पनिशमेंट देने का दौर खत्म हो सा हो गया है लेकिन आंध्र प्रदेश के एक स्कूल में बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां स्कूल के हेडमास्टर ने खुद को ही पनिशमेंट दे दी. जानकारी के मुताबिक विजयनगर के जिला परिषद हाई स्कूल के हेडमास्टर चिंता रमण ने अपने स्टूडेंट्स के सामने कान पकड़कर उठक-बैठक लगाई और छात्रों को कुछ भी सिखाने की अपनी क्षमता पर सवाल उठाया. 

इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. वीडियो में हेड मास्टर, स्टूडेंट्स के एक बड़े ग्रुप के सामने स्कूल के मंच पर खड़े दिखाई दे रहे हैं. उनके साथ में एक छात्र और एक अन्य व्यक्ति है जो एक शिक्षक लग रहा है. इसके बाद वह एक भाषण देते हैं, जिसमें वह खुद दोषी ठहराते हुए नजर आए. उन्होंने कहा कि वो अपने छात्रों को शैक्षणिक योग्यता और अनुशासन सिखाने में विफल रहे हैं. उन्होंने साथ ही पेरेंट्स से स्कूल में बेहतर परिणाम पाने के लिए टीचर्स के साथ सहयोग करने के लिए भी कहा.

उन्होंने कहा, “हम आपको पीट नहीं सकते या डांट नहीं सकते. हमें अपने हाथ बांधकर रखने के लिए मजबूर होना पड़ता है. भले ही हम पढ़ा रहे हैं, इतनी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन व्यवहार में, शिक्षा में, लेखन कौशल में या पढ़ने के कौशल में कोई अंतर नहीं है. क्या समस्या आप में है या हममें? अगर आप कहते हैं कि यह हमारे साथ है, तो मैं आपके सामने दंडवत करूंगा और अगर आप चाहें, तो मैं अपने कान पकड़कर उठक-बैठक करूंगा.” शब्दों के साथ-साथ क्रिया का मिलान करते हुए, उन्होंने पहले खुद को दंडवत किया, फर्श पर पूरी लंबाई में लेट गए, फिर अपने चकित छात्रों के सामने उठक-बैठक करने लगे.

बच्चे पहले तो मुंह खोले देखते रहे, फिर ‘मत करो सर, कृपया मत करो’ की चीखें आने लगीं. लेकिन रमण ने एक बार में कम से कम 50 उठक-बैठकें कीं. उनके इस कदम की राज्य मंत्री नारा लोकेश ने सराहना की, जिन्होंने एक्स पर वीडियो पोस्ट किया. अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा, विजयनगरम जिले के बोब्बिली मंडल के पेंटा जेडपी हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक चिंता रमण का एक वीडियो सोशल मीडिया के माध्यम से मेरे ध्यान में आया, जिसमें वे कह रहे हैं कि बच्चों की शैक्षिक प्रगति न्यूनतम है और वे उनकी बात नहीं सुन रहे हैं… छात्रों को दंडित किए बिना, बल्कि उनका मजाक उड़ाते हुए. प्रधानाध्यापक! यदि सभी मिलकर काम करें और प्रोत्साहन दें, तो हमारे सरकारी स्कूलों के बच्चे कमाल कर देंगे. उन्हें दंडित किए बिना उन्हें समझने के लिए आत्म-अनुशासन का आपका विचार अच्छा है, बधाई. आइए हम सब मिलकर शिक्षा के मानकों को ऊपर उठाएं. आइए हम अपने बच्चों की शिक्षा, शारीरिक और मानसिक विकास की दिशा में काम करें और उनके सुनहरे भविष्य का मार्ग प्रशस्त करें.”

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