बलूच लिबरेशन आर्मी की कैद से भले ही जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को आजाद करवा लिया गया है, लेकिन हर नए दिन के साथ पाकिस्तान ट्रेन हाईजैक कांड का नया दर्द सामने आ रहा है. मौत के मुंह से बाहर निकलकर आए लोग अभी भी खौफज़दा हैं. बम धमाकों का शोर और गोलियों की तड़तड़ाहट उनके कानों में अब भी गूंज रही हैं. चश्मदीदों के मुताबिक, ट्रेन में मौजूद सैनिकों ने बीएलए के लड़ाकों से लोहा लेने की कोशिश तो की, लेकिन गोलियां खत्म हो जाने की वजह से उन्हें सरेंडर करना पड़ा. इसके बाद बलूच लिबरेशन आर्मी के लड़ाकों ने आईडी कार्ड देखकर लोगों को अलग किया. पठानों को अलग खड़ा किया, पंजाबियों को अलग, सिंधियों को अलग और बलूचों को अलग, लेकिन जिनके पास सेना की आईडी थी, उनको मौत की नींद सुला दिया गया.

चश्मदीदों की बातों की तस्दीक करता है पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार का बयान. तरार ने बताया कि इस हाईजैक कांड में पाकिस्तानी सेना के 4 जवानों की जान गई. जबकि 21 नागरिक भी मारे गए. इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि सेना ने 33 दहशतगर्दों को भी मौत की नींद सुला दिया.

इस हाईजैक कांड में मारे गए लोगों के शव क्वैटा रेलवे स्टेशन पर लाए गए. जहां से उन्हें एबुलेंस के जरिए पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया. 

पाकिस्तान सेना के मुताबिक, 150 से ज्यादा लोगों को बलूच लिबरेशन आर्मी की कैद से मुक्त कराया गया है. सभी बंधकों को अब उनके घरों तक सुरक्षित पहुंचाया जा रहा है. स्थानीय लोग भी मदद के लिए आगे आ रहे हैं. मौत के मुंह से बाहर आए लोगों को कोई खाना खिला रहा है, तो कोई बस में बैठाकर उन्हें घर पहुंचाने का इंतजाम कर रहा है. देर रात बंधकों को लेकर जब एक ट्रेन माछ स्टेशन पर पहुंची तो अपनों को खोजने के लिए रिश्तेदारों की भीड़ लग गई. सुरक्षाबलों ने घायलों को तुरंत प्राथमिक उपचार दिया. किसी के सर में गंभीर चोट आई थी तो किसी के पैर जख्मी थे.

वहीं, जो लोग ज्यादा जख्मी थे, उन्हें देर रात ही एंबुलेंस की मदद से नजदीकी अस्पतालों में उपचार के लिए भर्ती करवाया गया. हालांकि सबसे ज्यादा चिंताजनक बात ये है कि अभी भी कई लोग बीएलए की कैद में हैं.

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