आतंकवाद की दुनिया में एक बड़ा नाम, हाफिज सईद, जिसे भारत सहित कई देश आतंकी मानते थे की मौत की खबर है. हालांकि अब तक उसके मारे जाने की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान में अज्ञात बंदूकधारियों ने हाफिज सईद की हत्या कर दी है. हाफिज सईद, लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक था और उसे 26/11 मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता था. आइए जानते हैं हाफिज सईद की क्राइम कुंडली कैसे वो पूरी दुनिया के लिए खतरनाक था.

हाफिज सईद की क्राइम कुंडली
हाफिज सईद ने 1980 के दशक में अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ जिहाद के दौरान अपनी आतंकी गतिविधियों की शुरुआत की थी.  इसके बाद उसने 1987 में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की स्थापना की थी.  जिसका मकसद भारत में इस्लामिक शासन स्थापित करना और कश्मीर को “आजाद” करना था. संगठन ने जल्द ही अपनी हिंसक गतिविधियों से दुनिया का ध्यान खींच लिया था.  हाफिज की अगुवाई में लश्कर ने भारत में कई बड़े हमले किए, जिनमें 2001 का भारतीय संसद पर हमला, 2006 के मुंबई ट्रेन धमाके और सबसे चर्चित 26/11 मुंबई हमला शामिल हैं. 

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हाफिज सईद के खिलाफ आतंकी फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध कब्जे जैसे 29 से ज्यादा मामले दर्ज थे. उसके सिर पर 10 मिलियन डॉलर (लगभग 70 करोड़ रुपये) का इनाम रखा गया था. हाफिज की क्राइम कुंडली में सैकड़ों बेगुनाहों की मौत का जिक्र है, जिसके लिए उसे आतंक का दूसरा नाम भी कहा जाता था.

हाफिज सईद भारत के लिए एक ऐसा खतरा था, जिसने न केवल सीमा पर तनाव बढ़ाया, बल्कि देश के भीतर भी आतंक का जाल फैलाया. उसका संगठन, लश्कर-ए-तैयबा, भारत में जिहाद को बढ़ावा देने और कश्मीर में अस्थिरता पैदा करने के लिए जाना जाता था. हाफिज ने भारतीय मुसलमानों को भड़काने के लिए जहरीले बयान दिए और आतंकी हमलों की साजिशें रचीं. उसकी रणनीति थी कि भारत के प्रमुख शहरों को निशाना बनाकर देश की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था को कमजोर किया जाए. 

भारत के बड़े शहरों पर थी हाफिज सईद की नजर
उसके संगठन ने कश्मीर में आतंकियों को हथियार और ट्रेनिंग मुहैया कराई.  हाफिज की नजर भारत के बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु पर थी, जहां वह आतंक फैलाकर देश को अस्थिर करना चाहता था. भारत ने उसे अपनी मोस्ट वांटेड सूची में शामिल किया और बार-बार पाकिस्तान से उसे सौंपने की मांग की, लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा इस मांग को ठुकराया. 

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कितने देश उसे आतंकी मानते थे?
हाफिज सईद को न केवल भारत, बल्कि कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने आतंकी घोषित किया था. दिसंबर 2008 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल-कायदा प्रतिबंध समिति ने उसे वैश्विक आतंकी की सूची में डाला. इसके अलावा, अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, रूस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने उसके संगठनों—लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा पर प्रतिबंध लगाए थे.

अमेरिका ने 2012 में उसके सिर पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम घोषित किया था, जो उसे दुनिया के सबसे वांछित आतंकियों में से एक बनाता था. भारत के आग्रह पर इंटरपोल ने 25 अगस्त 2009 को उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था. कम से कम 40 से ज्यादा देशों और संगठनों ने उसे आतंकी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराया था. हालांकि, पाकिस्तान ने लंबे समय तक उसे संरक्षण दिया और आतंकी मानने से इनकार किया, जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता गया. 

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 26/11 की घटना में हाफिज सईद की भूमिका
26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था. इस हमले में 10 पाकिस्तानी आतंकियों ने समुद्री रास्ते से मुंबई में घुसपैठ की और ताजमहल पैलेस होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस जैसे प्रमुख स्थानों को निशाना बनाया. 166 लोगों की मौत और सैकड़ों के घायल होने के बाद यह साफ हो गया कि इसके पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ था. 

अमेरिकी-पाकिस्तानी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली, जो इस हमले में शामिल था, ने भी हाफिज की संलिप्तता की पुष्टि की थी.  हेडली ने मुंबई की पांच यात्राएं कीं थी और हमले की जगहों को रेकी करने में मदद की थी. हाफिज ने पाकिस्तान से इस ऑपरेशन को लीड किया और अपने गुर्गों के जरिए इसे अंजाम दिया था इस हमले ने भारत को आतंकवाद के खिलाफ और सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर किया. 

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