प्रवर्तन निदेशालय ने विंध्यवासिनी ग्रुप ऑफ कंपनीज के प्रमोटर और निदेशक विजय आर गुप्‍ता को गिरफ्तार कर लिया है. यह कार्रवाई स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से धोखाधड़ी करके लिए गए लोन के मामले में की गई है. इसके बाद मुंबई कोर्ट ने उन्हें सात दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया है. गुप्‍ता को मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम रोकथाम अधिनियम 2002 के प्रावधानों के तहत 26 मार्च को गिरफ्तार किया था. 

कैसे हुआ घोटाला

ईडी ने यह जांच सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा विंध्यवासिनी ग्रुप ऑफ कंपनीज और उनके प्रमोटरों विजय आर गुप्ता और अजय आर गुप्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी. जांच में पाया गया कि इन कंपनियों ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से फर्जी और जाली दस्तावेजों के जरिए करोड़ों रुपये का लोन लिया था. साल 2013 में ये सभी लोन एनपीए में बदल गए और इसकी कुल रकम 764.44 करोड़ रुपये थी.

ED की जांच में बड़े खुलासे

विंध्यवासिनी ग्रुप ऑफ कंपनीज और उनके प्रमोटरों को लेकर ईडी की जांच में कई बड़े खुलासे हुए हैं. आरोप है कि विजय आर गुप्ता ने चार विंध्यवासिनी ग्रुप की कंपनियों के नाम पर स्टील रोलिंग मिल्स (सिलवासा और महाराष्ट्र में) खरीदने के लिए टर्म लोन और नकद लोन सुविधा प्राप्त की. साथ ही राजपूत रिटेल लिमिटेड नामक कंपनी के नाम पर मॉल निर्माण और व्यावसायिक इमारतों की खरीद के लिए भी लोन लिया.

ईडी की जांच में सामने आया है कि लोन हासिल करने के लिए फर्जी और बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए गए एमओयू का उपयोग किया, जिससे प्रमोटर की ओर से कोई निजी पूंजी का योगदान न देना पड़े. 

40 से अधिक शेल कंपनियां बनाई!

ईडी की जांच में सामने आया है कि 40 से अधिक शेल कंपनियां बनाई गई, जिनके जरिए से लोन में हेरफेर किया गया. लोन  के पैसे का एक हिस्सा मुंबई और आसपास की संपत्तियों की खरीद में लगाया गया. 

प्रवर्तन निदेशालय इस मामले में आगे जांच कर रहा है. साथ ही इस मामले से जुड़े अन्‍य व्यक्तियों की भूमिका की भी पड़ताल की जा रही है.

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