म्यांमार में शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के भीषण भूकंप ने भारी तबाही मचाई, जिसके प्रभाव से पड़ोसी देशों में भी झटके महसूस किए गए. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपनी अत्याधुनिक अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट कार्टोसैट-3 की मदद से इस आपदा से हुए नुकसान की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं. इन तस्वीरों में म्यांमार के मांडले और सगाइंग शहरों में ढह गई इमारतों, सड़कों और ऐतिहासिक स्थलों का मंजर साफ दिखाई दे रहा है.

कार्टोसैट-3 ने खींचीं हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरें
इसरो की कार्टोसैट-3 सैटेलाइट, जिसे 2019 में लॉन्च किया गया था, 50 सेंटीमीटर से भी कम रिजॉल्यूशन वाली तस्वीरें लेने में सक्षम है. इस सैटेलाइट ने 500 किलोमीटर की ऊंचाई से म्यांमार के प्रभावित इलाकों की तस्वीरें खींचीं. इनमें इरावदी नदी पर बना विशाल अवा (इनवा) पुल ढहने की तस्वीरें शामिल हैं. इसके अलावा, मांडले विश्वविद्यालय और अनंदा पगोडा को हुए नुकसान को भी चित्रों में देखा जा सकता है. इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर ने बताया कि ये तस्वीरें शनिवार को ली गईं, जबकि 18 मार्च को ली गई तस्वीरों से तुलना कर नुकसान का आकलन किया गया.

मांडले और सगाइंग में भारी क्षति
7.7 तीव्रता का यह भूकंप म्यांमार के सगाइंग-मांडले सीमा के पास 10 किलोमीटर की गहराई पर केंद्रित था. इसके बाद 6.4 तीव्रता का एक जोरदार झटका भी आया. मांडले, जो म्यांमार का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, में भारी नुकसान दर्ज किया गया. राजधानी नेप्यीडॉ सहित अन्य इलाकों में भी इमारतें, सड़कें और बुनियादी ढांचे ध्वस्त हो गए. भूकंप के झटके थाईलैंड के चियांग माई और उत्तरी हिस्सों तक महसूस किए गए, जहां कुछ जगहों पर नुकसान की खबरें हैं.

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तस्वीरों में मांडले के प्रमुख स्थलों जैसे स्काई विला, फायानी पगोडा, महामुनि पगोडा, अनंदा पगोडा और मांडले विश्वविद्यालय को या तो पूरी तरह ढहते हुए या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त देखा गया. सगाइंग शहर में मा शी खाना पगोडा, कई मठों और अन्य इमारतों को भी नुकसान पहुंचा.

ऐतिहासिक अवा पुल ढहा, नदी के मैदानों में दरारें
सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला कि भूकंप के कारण इरावदी नदी पर बना ऐतिहासिक अवा (इनवा) पुल पूरी तरह ढह गया. यह पुल इनवा शहर के पास स्थित था. इसके अलावा, इरावदी नदी के बाढ़ प्रभावित मैदानों में दरारें और मिट्टी के (लिक्विफेक्शन) के निशान भी देखे गए.

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क्यों आया भूकंप?
इसरो के आकलन के अनुसार, म्यांमार भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के सीमा के पास स्थित है, जहां भारतीय प्लेट हर साल करीब 5 सेंटीमीटर की रफ्तार से यूरेशियन प्लेट की ओर बढ़ रही है. इसके अलावा, म्यांमार में सगाइंग फॉल्ट जैसी कई छोटी सक्रिय फॉल्ट लाइनें भी हैं. यह फॉल्ट मध्य म्यांमार से होकर गुजरती है और दोनों प्लेटों के बीच पार्श्व गति को संतुलित करती है. इसरो का मानना है कि शुक्रवार का भूकंप सगाइंग फॉल्ट या इसके सहायक फॉल्ट्स पर जमा तनाव के निकलने के कारण आया.

भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ
भूकंप के बाद भारत उन पहले देशों में शामिल था, जिन्होंने म्यांमार को सहायता पहुंचाई. भारतीय बचाव दल और राहत सामग्री तुरंत प्रभावित क्षेत्रों के लिए रवाना की गई.  यह घटना म्यांमार के लिए एक बड़ी प्राकृतिक आपदा साबित हुई है, जिसके प्रभावों से उबरने में लंबा वक्त लग सकता है. इसरो की कार्टोसैट-3 सैटेलाइट ने एक बार फिर अपनी तकनीकी क्षमता को साबित किया है.

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