23 जून 2019, सुबह 8 बजे… जगह है दिल्ली का वसंत विहार, एक ऐसा इलाका जहां बड़े-बड़े लोग रहते हैं. यहां वसंत अपार्टमेंट्स में एक फ्लैट था, जिसमें रहते थे 80 साल के विष्णु माथुर और उनकी 75 साल की पत्नी शशि माथुर. विष्णु रिटायर्ड सरकारी अफसर थे और शशि, जो पहले NDMC में काम करती थीं. लेकिन उस समय बिस्तर से उठ भी नहीं पाती थीं. इनके साथ रहती थी 20 साल की खुशबू नौटियाल, जो उनकी फुल-टाइम हेल्पर थी. सुबह-सुबह पार्ट-टाइम मेड बबली काम पर पहुंची. उसने डोरबेल बजाई, कोई जवाब नहीं. फिर से बजाई, फिर भी सन्नाटा. बबली को लगा शायद सब सो रहे हैं, तो उसने अपनी चाबी निकाली. लेकिन जैसे ही दरवाजा खोला, अंदर का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए. बेडरूम में विष्णु और शशि की लाशें, गले कटे हुए, खून से लथपथ. दूसरी तरफ खुशबू भी मरी पड़ी थी. लेकिन हैरानी की बात? दरवाजा तोड़ा नहीं गया था और लिविंग रूम में चाय के कप शांति से रखे थे. मतलब साफ था – जो भी अंदर आया, उसे घरवालों ने खुद अंदर आने दिया.

पहला क्लू और गलत ट्रैक

अब पुलिस आई और जांच शुरू हुई. घर में कुछ सोने के गहने गायब थे, लेकिन कैश वैसे का वैसा पड़ा था. दोनों के मोबाइल फोन भी गायब. फिर पुलिस की नजर पड़ी एक अजीब चीज पर – खुशबू के कमरे में एक कंडोम का पैकेट. अब सवाल उठा – ये यहां कैसे आया? पुलिस को शक हुआ कि खुशबू का कोई बॉयफ्रेंड इसमें शामिल हो सकता है. पड़ोसियों ने भी बताया कि उसका एक दोस्त अक्सर घर आता था. बस, पुलिस ने उस लड़के को पकड़ा, पूछताछ की, उसके दोस्तों से भी सवाल किए. लेकिन 72 घंटे बाद पुलिस को एहसास हुआ – ये गलत रास्ता था। वो लड़का बेकसूर था। अब क्या? जांच फिर से जीरो से शुरू.

असली विलेन की एंट्री  

पुलिस ने माथुर दंपती की बेटी से बात की. उसने एक नाम लिया – प्रीति सहरावत. प्रीति कोई अनजान नहीं थी. उसकी मां और शशि माथुर कभी NDMC में साथ काम करती थीं. हाल ही में प्रीति अचानक माथुर फैमिली से मिलने लगी थी. लेकिन क्यों? पुलिस को ये जानना था. फिर 26 जून को एक बड़ा ब्रेकथ्रू मिला. विष्णु का गायब फोन ऑन हुआ, बस कुछ सेकंड के लिए. पुलिस ने लोकेशन ट्रैक की और पहुंच गई गुरुग्राम के एक होटल में. वहां मिली प्रीति और उसका लिव-इन पार्टनर मनोज भट्ट. मनोज ने ही फोन ऑन किया था और अब वो पकड़े गए.

सबूतों का खजाना
पुलिस ने प्रीति और मनोज से पूछताछ की और वो दोनों एक खाली प्लॉट पर ले गए. वहां कचरे में मिले हत्या के हथियार – चाकू और स्क्रूड्राइवर. लेकिन असली शॉक तब लगा, जब वहां दो कंडोम का एक स्ट्रिप मिला. पुलिस ने इसे खुशबू के कमरे वाले कंडोम से मिलाया. तीनों एक ही पैक से थे. फोरेंसिक ने कन्फर्म किया कि कागज के कट, रंग, साइज – सब एक जैसे थे. अब साफ था , वो कंडोम खुशबू के बॉयफ्रेंड का नहीं था. ये प्रीति और मनोज ने जानबूझकर वहां रखा था, ताकि पुलिस का शक गलत दिशा में जाए. लेकिन सच छुप नहीं सका.

कातिलों की कहानी 

तो प्रीति और मनोज कौन थे? प्रीति एक आम लड़की थी, जिसका सपना था बिजनेस करना. उसने होटल मैनेजमेंट पढ़ा, नौकरी की, शादी की, दो बच्चे हुए. लेकिन उसका पति निकोलस उसे छोड़कर चला गया. फिर 2015 में उसकी जिंदगी में आया मनोज – एक प्रॉपर्टी डीलर, जो असल में जेल से छूटा एक मर्डरर था. उसने अपनी पत्नी को मार डाला था. दोनों ने साथ में बिजनेस शुरू किया, लेकिन सब फेल हो गया. 2019 तक प्रीति बीमार थी, नौकरी छूट गई, और मनोज उसे ताने मारता था। फिर मनोज ने कहा – ‘पैसा लाओ, या कोई बड़ा हाथ मारने का मौका दो.’ प्रीति को शशि आंटी याद आईं. 17 जून को प्रीति उनके घर गई, रेकी की और 22 जून की रात को प्लान बन गया.

उस रात क्या हुआ था?

रात 10:30 बजे, प्रीति और मनोज गुरुग्राम से निकले. मनोज की बाइक वसंत अपार्टमेंट्स से दूर पार्क की. प्रीति ने दुपट्टे से चेहरा छुपाया. रात 11:15 बजे दरवाजा खटखटाया. खुशबू ने खोला, माथुर दंपती भी जाग रहे थे. प्रीति ने कहा, ‘बस पास से गुजर रहे थे, सोचा मिल लें.’  थोड़ी देर बाद विष्णु माथुर और उनकी पत्नी सोने चले गए. मनोज ने टीवी की आवाज तेज की, शराब पी, और खुशबू को चाय बनाने भेजा. जैसे ही खुशबू चाय लेकर आई, मनोज ने उसका गला काट दिया. फिर बेडरूम में जाकर माथुर दंपती को चाकू और स्क्रूड्राइवर से मार डाला. सोना, मोबाइल, और प्रॉपर्टी के कागज लूट लिए. दोनों वापस गुरुग्राम पहुंचे, सबूत ठिकाने लगाए, और होटल में छुप गए. लेकिन फोन ऑन करने की गलती ने उन्हें पकड़वा दिया. पुलिस की पूछताछ में मनोज ने कहा, ‘मुझे पता है, मैं जल्दी बाहर आ जाऊंगा।.’ उसने जेल में सीखा था कि कैसे सबूत छुपाने हैं. लेकिन पुलिस की शानदार जांच के आगे वो टिक नहीं सके.

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