अनासागर झील मामले में सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान सरकार ने हलफनामा दायर कर क्या कहा 

सुप्रीम कोर्ट में लंबित अनासागर झील मामले में एक अहम विकास के तहत, जहां कोर्ट ने मुख्य सचिव को वर्चुअल रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया था, इस पर अजमेर के जिलाधिकारी ने दिनांक 4 अप्रैल 2025 को सर्वोच्च न्यायालय में एक अतिरिक्त हलफनामा दायर किया है. हलफनामा में शहर में दो अतिरिक्त वेटलैंड विकसित करने का प्रस्ताव रखा गया है. यह कदम सुप्रीम कोर्ट के दिनांक 17 मार्च 2025 के आदेश के अनुपालन में उठाया गया है, जो सिविल अपील संख्या 7607/2023 (राज्य बनाम अशोक मलिक व अन्य) में पारित हुआ था. इस आदेश में, भारत के सॉलिसिटर जनरल और राजस्थान के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा द्वारा दिए गए आश्वासन के आधार पर, न्यायालय ने सेवन वंडर्स पार्क के स्थानांतरण और झील से सटे फूड कोर्ट के ध्वस्तीकरण की अनुमति दी थी, तथा शेष संरचनाओं को बनाए रखने की स्थिति में राज्य सरकार से पर्यावरणीय संतुलन के लिए समकक्ष वेटलैंड विकसित करने का ठोस प्रस्ताव लाने को कहा था.

पिछली सुनवाई में माननीय न्यायालय ने राजस्थान के मुख्य सचिव द्वारा दायर शपथ-पत्र को संज्ञान में लेते हुए यह स्वीकार किया था कि सेवन वंडर्स पार्क और फूड कोर्ट को छह माह के भीतर हटाने की राज्य की प्रतिबद्धता को स्वीकार किया जाता है. हालांकि, अन्य संरचनाओं के संबंध में न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि यदि राज्य सरकार उनमें से किसी को भी बनाए रखना चाहती है, तो उसे अजमेर में ही समकक्ष पारिस्थितिकीय मूल्य वाले वेटलैंड का प्रस्ताव लाना होगा.

इसके जवाब में, दिनांक 4 अप्रैल 2025 के हलफनामे में जिलाधिकारी लोक बंधु द्वारा दो वेटलैंड के निर्माण और पुनर्स्थापन की विस्तृत योजना प्रस्तुत की गई है:

  • फॉय सागर (अब वरुण सागर) विस्तार – अजमेर के हाथीखेड़ा क्षेत्र में स्थित मौजूदा 2 हेक्टेयर जल निकाय को 10 हेक्टेयर के वेटलैंड क्षेत्र में विस्तारित किया जाएगा.
  • तबीजी क्षेत्र की झीलें – तबीजी शहरी क्षेत्र में स्थित दो जलाशय, जो वर्तमान में लगभग 6 हेक्टेयर में फैले हैं, को संयुक्त रूप से विकसित कर लगभग 19 हेक्टेयर वेटलैंड (एक स्थान पर 10 हेक्टेयर और दूसरे पर 9 हेक्टेयर) में परिवर्तित किया जाएगा.

हलफनामे में यह भी उल्लेख किया गया है कि इन वेटलैंड के लिए इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट प्लान का निर्माण राज्य वेटलैंड प्राधिकरण द्वारा राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (NEERI) के सहयोग से किया जाएगा और जैसे ही वैज्ञानिक अध्ययन प्राप्त होगा, कार्य तुरंत प्रारंभ किया जाएगा.

राज्य ने यह भी बताया कि सेवन वंडर्स पार्क और फूड कोर्ट को हटाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है. अन्य संरचनाओं के संदर्भ में हलफनामे में निम्न बिंदुओं को स्पष्ट किया गया है:

  • गांधी स्मृति उद्यान – यह स्थल अनासागर झील से 1.5 किमी दूर स्थित है और यह चट्टानी भूभाग पर निर्मित है जिसे मास्टर प्लान 2023 एवं स्वीकृत योजना में “स्मारक” के रूप में दर्शाया गया है। यह क्षेत्र न तो वेटलैंड का हिस्सा है और न ही राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने इसे वेटलैंड माना है.
  • पटेल स्टेडियम / आज़ाद पार्क – यह स्थल झील से 0.8 किमी की दूरी पर स्थित है और मास्टर प्लान 2033 के अनुसार इसे “सेमी-रिक्रिएशनल एंड यूज़” के रूप में चिह्नित किया गया है. यह भूमि पहले से ही राजस्व अभिलेखों में पोलो ग्राउंड के रूप में दर्ज है और निर्माण कार्य योजना मानकों के अनुसार किया गया है. इस स्थल को भी NGT द्वारा वेटलैंड नहीं माना गया.
  • अनासागर झील के चारों ओर बनाए गए पाथवे – इनकी कुल लंबाई लगभग 8.8 किलोमीटर है, जिसमें से 2.2 किमी वर्ष 2015 से पहले मौजूद थे और 6.6 किमी उसके बाद बनाए गए.

राजस्थान सरकार ने हलफनामे में दोहराया है कि वह माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का पूर्ण सम्मान करती है और हर आदेश का पूर्ण अनुपालन करने के लिए प्रतिबद्ध है. यदि किसी भी प्रकार से कोई गैर-अनुपालन का आभास हुआ हो, तो राज्य ने बिना शर्त माफी भी मांगी है.

यह मामला अब आगामी सुनवाई के लिए दिनांक 7 अप्रैल 2025 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय में सूचीबद्ध किया गया है, जहां प्रस्तावित वेटलैंड योजना की समीक्षा की जाएगी और शेष संरचनाओं की स्थिति का मूल्यांकन पर्यावरणीय नियमों और पूर्व न्यायाधिकरण आदेशों के आलोक में किया जाएगा.

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