
निज़ार कब्बानी की मशहूर कविता ‘मुहब्बत के हाशिए पर’ प्रेम की गहराइयों, असंभवता और खोए हुए मौकों के दर्द को बयां करती है। इस कविता में संवेदनशीलता और भावनाओं का ऐसा ताना-बाना बुना गया है जो पाठक के दिल को छू लेता है। प्रेम की नाजुकता और अधूरी चाहतों की पीड़ा को व्यक्त करती यह रचना अरबी साहित्य की अमर कृतियों में से एक है।