ईरान के साथ न्यूक्लियर डील पर सीधी बात करेगा अमेरिका, ट्रंप ने यह सरप्राइज क्यों दिया!

अमेरिका ईरान के साथ उसके न्यूक्लियर प्रोग्राम पर डील के लिए सीधी बातचीत शुरु करने वाला है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ व्हाइट हाउस की बैठक के दौरान यह चौंकाने वाली घोषणा की. ओवल ऑफिस में सोमवार, 7 अप्रैल को बोलते हुए, ट्रंप ने कहा कि उन्हें तेहरान के साथ एक समझौते पर पहुंचने की उम्मीद है. लेकिन साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि बातचीत विफल रही तो इस्लामी गणतंत्र “बड़े खतरे” में होगा.

ट्रंप को बोलने के कुछ घंटों बाद ही तेहरान ने पुष्टि की कि ओमान में शनिवार को अमेरिका के साथ यह चर्चा होनी है, लेकिन जोर देकर कहा कि सीधी बातचीत की जगह यह “अप्रत्यक्ष” वार्ता होगी. ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, “ईरान और अमेरिका अप्रत्यक्ष उच्च स्तरीय वार्ता के लिए शनिवार को ओमान में मिलेंगे.”

उन्होंने कहा, “यह जितना एक अवसर है, यह उतना ही यह एक परीक्षा भी है.. गेंद अमेरिका के पाले में है.”

ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से नेतन्याहू दूसरी बार मुलाकात करने वाशिंगटन पहुंचे हैं. दोनों के बीच बैठक का उद्देश्य अमेरिकी टैरिफ से बचने के लिए इजरायल की कोशिश पर ध्यान केंद्रित करना था. इस बीच नेतन्याहू ने कहा कि अमेरिका और इजरायल युद्ध से जूझते गाजा से बंधकों को मुक्त कराने के लिए एक और समझौते पर काम कर रहे हैं. गौरतलब है कि इजरायल और ईरान के सहयोगी कहे जाने वाले हमास के बीच युद्धविराम टूट गया है.

ना-ना करते ईरान से बातचीत को माने ट्रंप

ट्रंप ने ओवल ऑफिस में बैठक के बाद रिपोर्टर्स से कहा, “हम ईरानियों से निपट रहे हैं, हमारी शनिवार को एक बहुत बड़ी बैठक है और हम उनसे सीधे निपट रहे हैं.” ट्रंप ने यह नहीं बताया कि बातचीत कहां होगी, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि इसमें सरोगेट्स को शामिल नहीं किया जाएगा और यह “लगभग उच्चतम स्तर” पर होगी.

ट्रंप बिना किसी आहट के झटके देने के लिए जाने जाते हैं. एक बार यह फिर से देखने को मिला है. एक दिन पहले ही ट्रंप ने ईरान द्वारा देश के परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने के लिए एक नए समझौते पर सीधी बातचीत को खारिज कर दिया था. उन्होंने बातचीत के इस विचार को निरर्थक बताया है.

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने 2018 में अपने पहले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान ईरान के साथ ऐसे डील से हाथ खींच लिया था. अमेरिका ने बराक ओबामा के कार्यकाल में ईरान ने साथ न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर एक डील पर साइन किया था, जिसे ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव एक्शन प्लान के रूप में जाना जाता है. उस डील के अनुसार ईरान को अपनी यूरेनियम संवर्धन गतिविधियों पर रोक लगानी थी और बदले में उसे अमेरिकी प्रतिबंधों से राहत मिली थी. ट्रंप ने डील खारीज करके “अधिकतम दबाव” की नीति का सहारा लिया जिसने आर्थिक प्रतिबंधों को कड़ा कर दिया.

खूब अटकलें लगाई गई हैं कि यदि कोई नया समझौता नहीं हुआ तो संभवतः अमेरिकी मदद से इजराइल ईरान के न्यूक्लियर सुविधाओं पर हमला कर सकता है.

एक तरफ बातचीत की घोषणा- एक तरफ धमकी.. ट्रंप चाहते क्या हैं?

एक तरफ तो ट्रंप ईरान के साथ एक नई डील के लिए सीधी वार्ता की घोषणा कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ वो धमकी देते भी नजर आ रहे हैं. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि अगर ईरान के साथ वार्ता सफल नहीं होती है, तो ईरान बहुत खतरे में होगा. मुझे यह कहने से नफरत है, बड़ा खतरा है, क्योंकि उनके पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते.”

ऐसा नहीं है कि ईरान के साथ उसके न्यूक्लियर प्रोग्राम पर सिर्फ अमेरिका बात कर रहा है. अधिकारियों ने कहा है कि रूस, चीन और ईरान मंगलवार को मॉस्को में ईरानी इस मुद्दे पर बातचीत करने वाले हैं.

ट्रंप को शायद अब ईरान की शक्ति का अंदाजा हो गया है और वह बात हाथ से निकलने से पहले कोई डील कर लेना चाहते हैं. आलोचकों का कहना है कि ईरान ने अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम में तेजी ला दी है और अब वह बम बनाने के पहले से कहीं ज्यादा करीब है. ओबामा के डील को पुनर्जीवित करने के पिछले राष्ट्रपति बाइडेन के प्रयास विफल रहे थे.

ध्यान रहे कि ईरान और अमेरिका के बीच 1980 के बाद से कोई सीधा राजनयिक संबंध नहीं है. 1980 में विद्रोहियों ने तेहरान में अमेरिकी दूतावास पर हमला किया था और 53 राजनयिकों को 444 दिनों तक बंधक बनाए रखा था, जिसके बाद संबंध टूट गए थे.

ट्रंप के टैरिफ से राहत लेने पहुंचे हैं नेतन्याहू

नेतन्याहू दुनिया को हिलाकर रख देने वाले अमेरिकी टैरिफ से राहत के लिए व्यक्तिगत रूप से गुहार लगाने अमेरिका पहुंचे हैं. ऐसा करने वाले दुनिया के पहले नेता हैं. इजरायली प्रधान मंत्री ने दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे को खत्म करने और व्यापार “बाधाओं” को भी खत्म करने का वादा किया है.

ट्रंप ने अमेरिकी सैन्य सहायता के सबसे बड़े लाभार्थी- इजरायल को अपने टैरिफ की मार से छूट देने से इनकार कर दिया है. उसपर 17 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है. ट्रंप ने साफ कहा है कि अमेरिका का इजरायल के साथ बड़ा व्यापार घाटा है.

(इनपुट- एएफपी)

यह भी पढ़ें: टैरिफ, गाजा, ईरान और चीन को चेतावनी… ट्रंप-नेतन्याहू की मुलाकात में क्या हुई बात

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